Constitution अनुच्छेद ३०२ : व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद् की शक्ति ।

भारत का संविधान अनुच्छेद ३०२ : व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद् की शक्ति । संसद् विधि द्वारा, एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग के भीतर व्यापार, वाणिज्य या समागम की स्वतंत्रता पर…

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Constitution अनुच्छेद ३०१ : व्यापार ,वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता ।

भारत का संविधान भाग १३ : भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम । अनुच्छेद ३०१ : व्यापार ,वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता । इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र व्यापार, वाणिज्य और समागम अबाध…

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Constitution अनुच्छेद ३०० क : विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना ।

भारत का संविधान १.(अध्याय ४ : संपत्ति का अधिकार : अनुच्छेद ३०० क : विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना । किसी व्यक्ती को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं ।)…

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Constitution अनुच्छेद ३०० : वाद और कार्यवाहियां ।

भारत का संविधान अनुच्छेद ३०० : वाद और कार्यवाहियां । १)भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी या उस पद वाद लाया…

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Constitution अनुच्छेद २९९ : संविदाएं ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २९९ : संविदाएं । १) संघ की या राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग करते हुए की गई सभी संविदाएं, यथास्थिति, राष्ट्रपति द्वारा या उस राज्य के राज्यपाल १.(*) द्वारा की गई कही जाएंगी और वे सभी संविदाएं और संपत्ति संबंधी…

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Constitution अनुच्छेद २९८ : व्यापार करने आदि की शक्ति ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २९८ : १.(व्यापार करने आदि की शक्ति । संघ की और प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, व्यापार या कारबार करने और किसी प्रयोजन के लिए संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन तथा संविदा करने पर, भी होगा : परंतु…

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Constitution अनुच्छेद २९७ : भारताचा क्षेत्रीय जलधी किंवा सागरमग्न खंडभूमी यांच्या आतील मौल्यवान वस्तू आणि अनन्यसाधारण आर्थिक परिक्षेत्रातील साधनसंपत्ती संघराज्याच्या ठायी निहित होणे :

भारताचे संविधान ( राज्यघटना ) अनुच्छेद २९७ : १.(भारताचा क्षेत्रीय जलधी किंवा सागरमग्न खंडभूमी यांच्या आतील मौल्यवान वस्तू आणि अनन्यसाधारण आर्थिक परिक्षेत्रातील साधनसंपत्ती संघराज्याच्या ठायी निहित होणे : (१) भारताचा क्षेत्रीय जलधी, त्यांची सागरमग्न खंडभूमी किंवा त्याचे अनन्यसाधारण आर्थिक परिक्षेत्र याच्या आतील सागराखाली असलेल्या सर्व…

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Constitution अनुच्छेद २९७ : १.(राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्त्रोतों का संघ में निहित होना ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २९७ : १.(राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्त्रोतों का संघ में निहित होना । १)भारत के राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि या अनन्य आर्थिक क्षेत्र में समुद्र के नीचे…

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Constitution अनुच्छेद २९६ : राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २९६ : राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति । इसमें इसके पश्चात् यथा उपबंधित के अधीन रहते हुए, भारत के राज्यक्षेत्रों में कोई संपत्ति जो यदि यह संविधान प्रवर्तन में नहीं आया होता तो राजगामी या व्यपगत होने…

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Constitution अनुच्छेद २९५ : अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २९५ : अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार । १) इस संविधान के प्रारंभ से ही - क) जो संपत्ति और आस्तियां ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले पहली अनुसूची के भाग ख में विनिर्दिष्ट राज्य के…

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Constitution अनुच्छेद २९४ : कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों दायित्त्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार ।

भारत का संविधान अध्याय ३ : संपत्ति, संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद : अनुच्छेद २९४ : कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों दायित्त्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार । इस संविधान के प्रांरभ से ही - क) जो संपत्ति और आस्तियां ऐसे प्रारंभ से ठीक…

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Constitution अनुच्छेद २९३ : राज्यों द्वारा उधार लेना ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २९३ : राज्यों द्वारा उधार लेना । १)इस अनुच्छेद के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उस राज्य की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोर्स हों, जिन्हें ऐसे राज्य का विधान-मंडल…

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Constitution अनुच्छेद २९२ : भारत सरकार द्वारा उधार लेना ।

भारत का संविधान अध्याय २ : उधार लेना : अनुच्छेद २९२ : भारत सरकार द्वारा उधार लेना । संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, भारत की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें संसद् समय-समय पर विधि द्वारा नियत…

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Constitution अनुच्छेद २९०क : कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २९० क : १.(कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय । प्रत्येक वर्ष छियालीस लाख पचास हजार रूपए की राशि केरल राज्य की संचित निधि पर भारित की जाएगी और उस निधि में से तिरूवांकुर देवस्वम् निधि को संदत्त की जाएगी और…

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Constitution अनुच्छेद २९० : कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २९० : कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन । जहां इस संविधान के अधीन किसी न्यायालय या आयोग के व्यय अथवा किसी व्यक्ति को या उसके संबंध में, जिसने इस संविधान के प्रारंभ से पहले भारत में क्राउन के…

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Constitution अनुच्छेद २८९ : राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छुट ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २८९ : राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छुट । १)किसी राज्य की संपत्ति और आय को संघ के करों से छुट होगी । २)खंड (१) की कोई बात संघ को किसी राज्य की सरकार द्वारा या…

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Constitution अनुच्छेद २८८ : जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधार से कुछ दशाओं से कुछ दशाओं में छुट ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २८८ : जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधार से कुछ दशाओं से कुछ दशाओं में छुट । १) वहां तक के सिवाय जहां तक राष्ट्रपति आदेश द्वारा अन्यथा उपबंध करे, इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किसी…

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Constitution अनुच्छेद २८७ : विद्युत पर करों से छुट ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २८७ : विद्युत पर करों से छुट । वहां तक के सिवाय, जहां तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबंध करे, किसी राज्य की कोई विधि (किसी सरकार द्वारा या अन्य व्यक्तियों द्वारा उत्पादित ) विद्युत के उपभोग या विक्रय पर जिसका…

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Constitution अनुच्छेद २८६ : माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २८६ : माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन । १)राज्य की कोई विधि, १.(माल के या सेवाओं के या दोनों के प्रदाय पर, जहां ऐसा प्रदाय) - क)राज्य के बाहर, या ख) भारत के…

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Constitution अनुच्छेद २८५ : संघ की संपत्ति की राज्य के कराधान से छूट ।

भारत का संविधान अनुच्छेद २८५ : संघ की संपत्ति की राज्य के कराधान से छूट । १)वहां तक के सिवाय, जहां तक संसद् विधि द्वारा अन्याथा उपबंध करे, किसी राज्य द्वारा या राज्य के भीतर किसी प्राधिकारी द्वारा अधिरोपित सभी करों से संघ की संपत्ति…

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