Bnss धारा २५३ : अभियोजन साक्ष्य के लिए तारीख :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २५३ : अभियोजन साक्ष्य के लिए तारीख : यदि अभियुक्त अभिवचन करने से इन्कार करता है या अभिवचन नहीं करता है या विचारण किए जाने का दावा करता है या धारा २५२ के अधीन सिद्धदोष नहीं किया जाता है…

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Bnss धारा २५२ : दोषी होने का अभिवचन :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २५२ : दोषी होने का अभिवचन : यदि अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करता है तो न्यायाधीश उस अभिवाक् को लेखबद्ध करेगा और उसके आधार पर उसे, स्वविवेकानुसार, दोषसिद्ध कर सकता है ।

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Bnss धारा २५१ : आरोप विरचित करना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २५१ : आरोप विरचित करना : १) यदि पूर्वोक्त रुप से विचार, और सुनवाई के पश्चात् न्यायाधीश की यह राय है कि ऐसी उपधारणा करने का आधार है कि अभियुक्त ने ऐसा अपराध किया है जो - (a) क)…

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Bnss धारा २५० : उन्मोचन (बिनादोष छोडना) :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २५० : उन्मोचन (बिनादोष छोडना) : १) अभियुक्त, धारा २३२ के अधीन सुपुर्दगी की तारीख से साठ दिवस की अवधि के भीतर उन्मोचन के लिए आवेदन कर सकेगा । २) यदि मामले के अभिलेख और उसके साथ दी गई…

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Bnss धारा २४९ : अभियोजन के मामले में कथन का प्रारंभ :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २४९ : अभियोजन के मामले में कथन का प्रारंभ : जब अभियुक्त धारा २३२ के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधी के मामले की सुपुर्दगी के अनुसरण में न्यायालय के समक्ष हाजिर होता है या लाया जाता है…

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Bnss धारा २४८ : विचारण का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ अध्याय १९ : सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण : धारा २४८ : विचारण का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाना : सेशन न्यायालय के समक्ष प्रत्येक विचारण में, अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाएगा ।

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Bnss धारा २४७ : कई आरोपों में से एक के लिए दोषसिद्ध पर शेष आरोपों का वापस लेना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २४७ : कई आरोपों में से एक के लिए दोषसिद्ध पर शेष आरोपों का वापस लेना : जब एक ही व्यक्ति के विरुद्ध ऐसा आरोप विरचित किया जाता है जिसमें एक से अधिक शीर्ष है और जब उनमें से…

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Bnss धारा २४६ : किन व्यकियों पर संयुक्त रुप से आरोप लगाया जा सकेगा :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २४६ : किन व्यकियों पर संयुक्त रुप से आरोप लगाया जा सकेगा : निम्नलिखित व्यक्तियों पर एक साथ आरोप लगाया जा सकेगा और उनका एक साथ विचारण किया जा सकेगा, अर्थात् - (a) क) वे व्यक्ति जिन पर एक…

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Bnss धारा २४५ : जब वह अपराध, जो साबित हुआ है, आरोपित अपराध के अन्तर्गत है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २४५ : जब वह अपराध, जो साबित हुआ है, आरोपित अपराध के अन्तर्गत है : १) जब किसी व्यक्ति पर ऐसे अपराध का आरोप है जिसमें कई विशिष्टियाँ है, जिनमें से केवल कुछ के संयोग से एक पूरा छोटा…

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Bnss धारा २४४ : जहाँ इस बारे में संदेह है कि कौन-सा अपराध किया गया है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २४४ : जहाँ इस बारे में संदेह है कि कौन-सा अपराध किया गया है : १) यदि कोई एक कार्य या कार्यों का क्रम इस प्रकार का है कि यह संदेह है कि उन तथ्यों से, जो सिद्ध किए…

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Bnss धारा २४३ : एक से अधिक अपराधों के लिए विचारण :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २४३ : एक से अधिक अपराधों के लिए विचारण : १) यदि परस्पर संबद्ध ऐसे कार्यो के, जिनसे एक ही संव्यवहार बनता है, एक क्रम में एक से अधिक अपराध एक ही व्यक्ति द्वारा किए गए हैं तो ऐसे…

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Bnss धारा २४२ : एक ही वर्ष में किए गए एक ही किस्म के अपराधों का आरोप एक साथ लगाया जा सकेगा :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २४२ : एक ही वर्ष में किए गए एक ही किस्म के अपराधों का आरोप एक साथ लगाया जा सकेगा : १) जब किसी व्यक्ती पर एक ही किस्म के ऐसे एक से अधिक अपराधों का अभियोग है जो…

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Bnss धारा २४१ : सुभिन्न अपराधों के लिए पृथक् आरोप :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ (B) ख) - आरोपों का संयोजन : धारा २४१ : सुभिन्न अपराधों के लिए पृथक् आरोप : १) प्रत्येक सुभिन्न अपराध के लिए, जिसका किसी व्यक्ति पर अभियोग है, पृथक् आरोप होगा और ऐसे प्रत्येक आरोप का विचारण पृथक्त: किया…

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Bnss धारा २४० : जब आरोप परिवर्तित किया जाता है तब साक्षियों को पुन:बुलाया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २४० : जब आरोप परिवर्तित किया जाता है तब साक्षियों को पुन:बुलाया जाना : जब कभी विचारण प्रारंभ होने के पश्चात् न्यायालय द्वारा आरोप परिवर्तित या परिवर्धित किया जाता है तब अभियोजक और अभियुक्त को - (a) क) किसी…

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Bnss धारा २३९ : न्यायालय आरोप परिवर्तित कर सकता है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २३९ : न्यायालय आरोप परिवर्तित कर सकता है : १) कोई भी न्यायालय निर्णय सुनाए जाने के पूर्व किसी समय किसी भी आरोप में, परिवर्तन या परिवर्धन कर सकता है । २) ऐसा प्रत्येक परिवर्तन या परिवर्धन अभियुक्त को…

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Bnss धारा २३८ : गलतियों का प्रभाव :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २३८ : गलतियों का प्रभाव : अपराध के उन विशिष्टियों के, जिनका आरोप में कथन होना अपेक्षित है, कथन करने में किसी गलती को और उस अपराध या उन विशिष्टियों के कथन करेन में किसी लोप को मामले के…

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Bnss धारा २३७ : आरोप के शब्दों का वह अर्थ लिया जाएगा जो उनका उस विधि में है जिसके अधीन वह अपराध दण्डनीय है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २३७ : आरोप के शब्दों का वह अर्थ लिया जाएगा जो उनका उस विधि में है जिसके अधीन वह अपराध दण्डनीय है : प्रत्येक आरोप में अपराध का वर्णन करने में उपयोग में लाए गए शब्दों को उस अर्थ…

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Bnss धारा २३६ : कब अपराध किए जाने की रीति कथित की जानी चाहिए :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २३६ : कब अपराध किए जाने की रीति कथित की जानी चाहिए : जब मामला इस प्रकार का है कि धारा २३४ और २३५ में वर्णित विशिष्टियाँ अभियुक्त को उस बात की, जिसका उस पर आरोप है, पर्याप्त सूचना…

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Bnss धारा २३५ : समय, स्थान और व्यक्ति के बारे में विशिष्टियाँ :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा २३५ : समय, स्थान और व्यक्ति के बारे में विशिष्टियाँ : १) अभिकथित अपराध के समय और स्थान के बारे में और जिस व्यक्ति के (यदि कोई हो), विरुद्ध अथवा जिस वस्तु के (यदि कोई हो) विषय में वह…

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Bnss धारा २३४ : आरोप की अन्तर्वस्तु :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ अध्याय १८ : आरोप : (A) क - आरोपों का प्ररुप : धारा २३४ : आरोप की अन्तर्वस्तु : १) इस संहिता के अधीन प्रत्येक आरोप में उस अपराध का कथन होगा जिसका अभियुक्त पर आरोप है । २) यदि…

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