Bnss धारा ३७७ : जहाँ निरुद्ध विकृत चित्त व्यक्ति छोडे जाने के योग्य घोषित कर दिया जाता है, वहाँ प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७७ : जहाँ निरुद्ध विकृत चित्त व्यक्ति छोडे जाने के योग्य घोषित कर दिया जाता है, वहाँ प्रक्रिया : १) यदि कोई व्यक्ति धारा ३६९ की उपधारा (२) या धारा ३७४ के उपबंधों के अधीन निरुद्ध है और ऐसा…

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Bnss धारा ३७६ : जहाँ यह रिपोर्ट की जाती है कि विकृत चित्त बंदी अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है वहाँ प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७६ : जहाँ यह रिपोर्ट की जाती है कि विकृत चित्त बंदी अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है वहाँ प्रक्रिया : यदि कोई व्यक्ती धारा ३६९ की उपधारा (२) के उपबंधों के अधीन निरुद्ध किया जाता है और, जेल…

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Bnss धारा ३७५ : भारसाधक अधिकारी को कृत्यों को निर्वहन करने के लिए सशक्त करने की राज्य सरकार की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७५ : भारसाधक अधिकारी को कृत्यों को निर्वहन करने के लिए सशक्त करने की राज्य सरकार की शक्ति : राज्य सरकार उस जेल के भारसाधक अधिकारी को, जिसमें कोई व्यक्ति धारा ३६९ या धारा ३७४ के उपबंधों के अधीन…

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Bnss धारा ३७४ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७४ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना : १) जब कभी निष्कर्ष में यह कथित है क अभियुक्त व्यक्ति ने अभिकथित कार्य किया है तब वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय,…

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Bnss धारा ३७३ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्ति का निर्णय :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७३ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्ति का निर्णय : जब कभी कोई व्यक्ति इस आधार पर दोषमुक्त किया जाता है कि उस समय जब यह अभिकथित है उसने अपराध किया वह चित्त-विकृति के कारण उस कार्य का स्वरुप,…

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Bnss धारा ३७२ : जब यह प्रतीत हो कि अभियुक्त स्वस्थचित्त रहा है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७२ : जब यह प्रतीत हो कि अभियुक्त स्वस्थचित्त रहा है : जब अभियुक्त जाँच या विचारण के समय स्वस्थचित्त प्रतीत होता है और मजिस्ट्रेट का अपने समक्ष दिए गए साक्ष्य से समाधान हो जाता है कि यह विश्वास…

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Bnss धारा ३७१ : मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष अभियुक्त के हाजिर होने पर प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७१ : मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष अभियुक्त के हाजिर होने पर प्रक्रिया : १) जब अभियुक्त, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष हजिर होता है या पुन:लाया जाता है, तब यदि मजिस्ट्रेट या न्यायालय का यह विचार है…

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Bnss धारा ३७० : जाँच या विचारण को पुन: चालू करना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७० : जाँच या विचारण को पुन: चालू करना : १) जब कभी जाँच या विचारण को धारा ३६७ या धारा ३६८ के अधीन मुल्तवी किया गया है तब, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या न्यायालय जाँच या विचारण को संबद्ध व्यक्ति…

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Bnss धारा ३६९ : अन्वेषण या विचारण के लंबित रहने के दौरान विकृत चित्त व्यक्ति का छोडा जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६९ : अन्वेषण या विचारण के लंबित रहने के दौरान विकृत चित्त व्यक्ति का छोडा जाना : १) जब कभी कोई व्यक्ति, चित्त-विकृति या बौद्धिक दिव्यांगता के कारण यदि धारा ३६७ या धारा ३६८ के अधीन प्रतिरक्षा करने में…

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Bnss धारा ३६८ : न्यायालय के समक्ष विचारित व्यक्ति के विकृत चित्त होने की दशा में प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६८ : न्यायालय के समक्ष विचारित व्यक्ति के विकृत चित्त होने की दशा में प्रक्रिया : १) यदि किसी मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय के समक्ष किसी व्यक्ति के विचारण के समय उस मजिस्ट्रेट या न्यायालय को वह व्यक्ति विकृत…

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Bnss धारा ३६७ : अभियुक्त के विकृत चित्त होने की दशा में प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ अध्याय २७ : विकृत चित्त अभियुक्त व्यक्तियों के बारे में उपबंध : धारा ३६७ : अभियुक्त के विकृत चित्त होने की दशा में प्रक्रिया : १) जब जाँच करने वाले मजिस्ट्रेट को यह विश्वास करने का कारण है कि वह…

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Bnss धारा ३६६ : न्यायालयों का खुला होना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६६ : न्यायालयों का खुला होना : १) वह स्थान, जिसमें कोई दण्ड न्यायालय की अपराध की जाँच या विचारण के प्रयोजन से बैठता है, खुला न्यायालय समझा जाएगा, जिसमें जनता साधारणत: प्रवेश कर सकेगी जहाँ तक कि सुविधापूर्वक…

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Bnss धारा ३६५ : भागत: एक न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा और भागत: दुसरे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित साक्ष्य पर दोषसिद्धी या सुपुर्दगी :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६५ : भागत: एक न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा और भागत: दुसरे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित साक्ष्य पर दोषसिद्धी या सुपुर्दगी : १) जब कभी किसी जाँच या विचारण में साक्ष्य को पुर्णत: या भागत: सुनने और अभिलिखित करने…

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Bnss धारा ३६४ : प्रक्रिया जब मजिस्ट्रेट पर्याप्त कठोर दण्ड का आदेश नहीं दे सकता :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६४ : प्रक्रिया जब मजिस्ट्रेट पर्याप्त कठोर दण्ड का आदेश नहीं दे सकता : १) जब कभी अभियोजन और अभियुक्त का साक्ष्य सुनने के पश्चात् मजिस्ट्रेट की यह राय है कि अभियुक्त दोषी है और उसे उस प्रकार दण्ड…

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Bnss धारा ३६३ : सिक्के, स्टाम्प-विधि या संपत्ति के विरुद्ध अपराधों के लिए तत्पूर्व दोषसिद्ध व्यक्तियों का विचारण :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६३ : सिक्के, स्टाम्प-विधि या संपत्ति के विरुद्ध अपराधों के लिए तत्पूर्व दोषसिद्ध व्यक्तियों का विचारण : १)जहाँ कोई व्यक्ति भारतीय न्याय संहिता २०२३ के अध्याय १० या अध्याय १७ के अधीन तीन वर्ष या अधिक की अवधि के…

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Bnss धारा ३६२ : प्रक्रिया जब जाँच या विचारण के प्रारंभ के पश्चात् मजिस्ट्रेट को पता चला है कि मामला सुपुर्द किया जाना चाहिए :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६२ : प्रक्रिया जब जाँच या विचारण के प्रारंभ के पश्चात् मजिस्ट्रेट को पता चला है कि मामला सुपुर्द किया जाना चाहिए : यदि किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष अपराध की किसी जाँच या विचारण में निर्णय पर हस्ताक्षर करने…

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Bnss धारा ३६१ : जिन मामलों का निपटारा मजिस्ट्रेट नहीं कर सकता, उनमें प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६१ : जिन मामलों का निपटारा मजिस्ट्रेट नहीं कर सकता, उनमें प्रक्रिया : १) यदि किसी जिले में किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष अपराध की किसी जाँच या विचारण के दौरान उसे साक्ष्य ऐसा प्रतीत होता है कि उसके आधार…

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Bnss धारा ३६० : अभियोजन वापस लेना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३६० : अभियोजन वापस लेना : किसी मामले का भारसाधक कोई लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक निर्णय सुनाए जाने के पूर्व किसी समय किसी व्यक्ति के अभियोजन को या तो साधारणत: या उन अपराधों में से किसी एक…

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Bnss धारा ३५९ : अपराधों का शमन (समझोता करना ) :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३५९ : अपराधों का शमन (समझोता करना ) : १) नीचे दी गई सारणी के प्रथन दो स्तंभो में विनिर्दिष्ट भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धाराओं के अधीन दण्डनीय अपाराधों का शमन उस सारणी के तुतीय स्तम्भ में उल्लिखित…

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Bnss धारा ३५८ : अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३५८ : अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की शक्ति : १) जहाँ किसी अपराध की जाँच या विचारण के दौरान साक्ष्य से यह प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति ने, जो अभियुक्त…

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