Bnss धारा ४५७ : कारावास का स्थान नियत करने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ (B)ख - कारावास धारा ४५७ : कारावास का स्थान नियत करने की शक्ति : १) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा जैसा उपबंधित है उसके सिवाय राज्य सरकार निदेश दे सकती है कि किसी व्यक्ति को, जिसे इस संहिता के अधीन…

Continue ReadingBnss धारा ४५७ : कारावास का स्थान नियत करने की शक्ति :

Bnss धारा ४५६ : गर्भवती महिला की मृत्यु दंड का लघुकरण किया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४५६ : गर्भवती महिला की मृत्यु दंड का लघुकरण किया जाना : यदि वह स्त्री, जिसे मृत्यु दण्डादेश दिया गया है, गर्भवती पाई जाती है तो उच्च न्यायालय दण्डादेश का आजीवन कारावास के रुप में लघुकरण कर सकेगा ।

Continue ReadingBnss धारा ४५६ : गर्भवती महिला की मृत्यु दंड का लघुकरण किया जाना :

Bnss धारा ४५५ : उच्चतम न्यायालय को अपील की दशा में मृत्यु दण्डादेश के निष्पादन का मुल्तवी किया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४५५ : उच्चतम न्यायालय को अपील की दशा में मृत्यु दण्डादेश के निष्पादन का मुल्तवी किया जाना : १) जहाँ किसी व्यक्ति को उच्च न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश दिया गया है और उसके निर्णय के विरुद्ध कोई अपील संविधान…

Continue ReadingBnss धारा ४५५ : उच्चतम न्यायालय को अपील की दशा में मृत्यु दण्डादेश के निष्पादन का मुल्तवी किया जाना :

Bnss धारा ४५४ : उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मृत्यु दण्डादेश का निष्पादन :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४५४ : उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मृत्यु दण्डादेश का निष्पादन : जब अपील में या पुनरिक्षण में उच्च न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश किया जाता है तब सेशन न्यायालय उच्च न्यायालय का आदेश प्राप्त होने पर वारण्ट जारी करके…

Continue ReadingBnss धारा ४५४ : उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मृत्यु दण्डादेश का निष्पादन :

Bnss धारा ४५३ : धारा ४०९ के अधीन दिए गए आदेश का निष्पादन :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ अध्याय ३४ : दण्डादेशों का निष्पादन, निलंबन, परिहार और लघुकरण : (A)क) - मृत्यु दण्डादेश : धारा ४५३ : धारा ४०९ के अधीन दिए गए आदेश का निष्पादन : जब मृत्यु दण्डादेश की पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय को प्रस्तुत…

Continue ReadingBnss धारा ४५३ : धारा ४०९ के अधीन दिए गए आदेश का निष्पादन :

Bnss धारा ४५२ : कारणों का अभिलिखित किया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४५२ : कारणों का अभिलिखित किया जाना : धारा ४४८, धारा ४४९, धारा ४५० या धारा ४५१ के अधीन आदेश करने वाला सेशन न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट ऐसा आदेश करने के अपने कारणों को अभिलिखित करेगा ।

Continue ReadingBnss धारा ४५२ : कारणों का अभिलिखित किया जाना :

Bnss धारा ४५१ : कार्यपालक मजिस्ट्रेटों द्वारा मामलों का अपने अधीनस्थ मजिस्ट्रेट के हवाले किया जाना या वापस लिया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४५१ : कार्यपालक मजिस्ट्रेटों द्वारा मामलों का अपने अधीनस्थ मजिस्ट्रेट के हवाले किया जाना या वापस लिया जाना : कोई जिला मजिस्ट्रेट या उपखण्ड मजिस्ट्रेट - (a) क) किसी ऐसी कार्यवाही को, जो उसके समक्ष आरंभ हो चुकी है,…

Continue ReadingBnss धारा ४५१ : कार्यपालक मजिस्ट्रेटों द्वारा मामलों का अपने अधीनस्थ मजिस्ट्रेट के हवाले किया जाना या वापस लिया जाना :

Bnss धारा ४५० : न्यायिक मजिस्ट्रेटों द्वार मामलों का वापस लिया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४५० : न्यायिक मजिस्ट्रेटों द्वार मामलों का वापस लिया जाना : १) कोई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अपने अधीनस्थ किसी मजिस्ट्रेट से किसी मामले को वापर ले सकता है या किसी मामले को, जिसे उसने ऐसे मजिस्ट्रेट के हवाले किया…

Continue ReadingBnss धारा ४५० : न्यायिक मजिस्ट्रेटों द्वार मामलों का वापस लिया जाना :

Bnss धारा ४४९ : सेशन न्यायाधीशों द्वारा मामलों और अपीलों का वापस लिया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४९ : सेशन न्यायाधीशों द्वारा मामलों और अपीलों का वापस लिया जाना : १) सेशन न्यायाधीश अपने अधीनस्थ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से कोई मामला या अपील वापस ले सकता है या कोई मामला या अपील, जिसे उसने उसके हवाले…

Continue ReadingBnss धारा ४४९ : सेशन न्यायाधीशों द्वारा मामलों और अपीलों का वापस लिया जाना :

Bnss धारा ४४८ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की सेशन न्यायाधीश की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४८ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की सेशन न्यायाधीश की शक्ति : १) जब कभी सेशन न्यायाधीश को यह प्रतीत कराया जाता है कि न्याय के उद्देश्यों के लिए यह समीचीन है कि इस उपधारा के अधीन…

Continue ReadingBnss धारा ४४८ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की सेशन न्यायाधीश की शक्ति :

Bnss धारा ४४७ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की उच्च न्यायालय की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४७ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की उच्च न्यायालय की शक्ति : १) जब कभी उच्च न्यायालय को यह प्रतीत कराया जाता है कि- (a) क) उसके अधीनस्थ किसी दण्ड न्यायालय में ऋजु और पक्षपात रहित जाँच…

Continue ReadingBnss धारा ४४७ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की उच्च न्यायालय की शक्ति :

Bnss धारा ४४६ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की उच्चतम न्यायालय की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ अध्याय ३३ : आपराधिक मामलों का अन्तरण : धारा ४४६ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की उच्चतम न्यायालय की शक्ति : १) जब कभी उच्चतम न्यायालय को यह प्रतीत कराया जाता है कि न्याय के उद्देश्यों के लिए…

Continue ReadingBnss धारा ४४६ : मामलों और अपीलों को अंतरित करने की उच्चतम न्यायालय की शक्ति :

Bnss धारा ४४५ : उच्च न्यायालय के आदेश का प्रमाणित करके निचले न्यायालय को भेजा जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४५ : उच्च न्यायालय के आदेश का प्रमाणित करके निचले न्यायालय को भेजा जाना : जब उच्च न्यायालय या सेशन न्यायाधीश द्वारा कोई मामला इस अध्याय के अधीन पुनरिक्षित किया जाता है तब वह धारा ४२९ द्वारा उपबंधित रीति…

Continue ReadingBnss धारा ४४५ : उच्च न्यायालय के आदेश का प्रमाणित करके निचले न्यायालय को भेजा जाना :

Bnss धारा ४४४ : पक्षकारों को सुनने का न्यायालय का विकल्प :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४४ : पक्षकारों को सुनने का न्यायालय का विकल्प : इस संहिता में अभिव्यक्त रुप से जैसा उपबंधित है उसके सिवाय, जो न्यायालय अपनी पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग कर रहा है उसके समक्ष स्वयं या वकील द्वारा सुने…

Continue ReadingBnss धारा ४४४ : पक्षकारों को सुनने का न्यायालय का विकल्प :

Bnss धारा ४४३ : उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापर लेने या अंतरित करने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४३ : उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापर लेने या अंतरित करने की शक्ति : १) जब एक ही विचारण में दोषसिद्ध एक या अधिक व्यक्ति पुनरिक्षण के लिए आवेदन उच्च न्यायालय को करते है और उसी…

Continue ReadingBnss धारा ४४३ : उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापर लेने या अंतरित करने की शक्ति :

Bnss धारा ४४२ : उच्च न्यायालय की पुनरिक्षण की शक्तियाँ :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४२ : उच्च न्यायालय की पुनरिक्षण की शक्तियाँ : १) ऐसी किसी कार्यवाही के मामले में, जिसका अभिलेख उच्च न्यायालय ने स्वयं मंगवाया है या जिसकी उसे अन्यथा जानकारी हुई है, वह धाराएँ ४२७, ४३०, ४३१ और ४३२ द्वारा…

Continue ReadingBnss धारा ४४२ : उच्च न्यायालय की पुनरिक्षण की शक्तियाँ :

Bnss धारा ४४१ : अपर सेशन न्यायाधीश की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४१ : अपर सेशन न्यायाधीश की शक्ति : अपर सेशन न्यायाधीश को किसी ऐसे मामले के बारे में, जो सेशन न्यायाधीश के किसी साधारण या विशेष आदेश के द्वारा या अधीन उसे अंतरित किया जाता है, सेशन न्यायाधीश की…

Continue ReadingBnss धारा ४४१ : अपर सेशन न्यायाधीश की शक्ति :

Bnss धारा ४४० : सेशन न्यायालय की पुनरीक्षण की शक्तियाँ :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४४० : सेशन न्यायालय की पुनरीक्षण की शक्तियाँ : १) ऐसी किसी कार्यवाही के मामले में जिसका अभिलेख सेशन न्यायाधीश ने स्वयं मंगवाया है, वह उन सभी या किन्हीं शक्तियाँ का प्रयोग कर सकता है जिनका प्रयोग धारा ४४२…

Continue ReadingBnss धारा ४४० : सेशन न्यायालय की पुनरीक्षण की शक्तियाँ :

Bnss धारा ४३९ : जाँच करने का आदेश देने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४३९ : जाँच करने का आदेश देने की शक्ति : किसी अभिलेख की धारा ४३८ के अधीन परीक्षा करने पर या अन्याथा उच्च नायालय या सेशन न्यायाधीश, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को निदेश दे सकता है कि वह, ऐसे किसी…

Continue ReadingBnss धारा ४३९ : जाँच करने का आदेश देने की शक्ति :

Bnss धारा ४३८ : पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अभिलेख मंगाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ४३८ : पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अभिलेख मंगाना : १) उच्च न्यायाल या कोई सेशन न्यायाधीश अपीन स्थानीय अधिकारिता के अन्दर स्थित किसी अवर (कनिष्ठ )दण्ड न्यायालय के समक्ष की किसी कार्यवाही अभिलेख को, किसी…

Continue ReadingBnss धारा ४३८ : पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अभिलेख मंगाना :