Ipc धारा ९४ : वह कार्य जिसे करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९४ : वह कार्य जिसे करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है : (See section 32 of BNS 2023) हत्या और राज्य के विरुद्ध अपराधों को मृत्यू से दण्डनीय है, उन्हे छोडकर कोई बात या कार्य…

Continue ReadingIpc धारा ९४ : वह कार्य जिसे करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है :

Ipc धारा ९३ : सद्भावपूर्वक दी गई संसुचना (दो या अधिक व्यक्तियों या स्थानों को सूचना देने के साधन) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९३ : सद्भावपूर्वक दी गई संसुचना (दो या अधिक व्यक्तियों या स्थानों को सूचना देने के साधन) : (See section 31 of BNS 2023) सद्भावपूर्वक दी गई संसुचना उस अपहानि के कारण अपराध नहीं है, जो उस व्यक्ति को हो…

Continue ReadingIpc धारा ९३ : सद्भावपूर्वक दी गई संसुचना (दो या अधिक व्यक्तियों या स्थानों को सूचना देने के साधन) :

Ipc धारा ९२ : किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति के बिना सद्भावपूर्वक किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९२ : किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति के बिना सद्भावपूर्वक किया गया कार्य : (See section 30 of BNS 2023) कोई बात या कार्य, जो किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक उसकी सम्मति के बिना की गई…

Continue ReadingIpc धारा ९२ : किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति के बिना सद्भावपूर्वक किया गया कार्य :

Ipc धारा ९१ : ऐसे कार्यो का अपवर्जन (बहिष्करण) जो कारित अपहानि के बिना भी स्वत:(खुद) अपराध है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९१ : ऐसे कार्यो का अपवर्जन (बहिष्करण) जो कारित अपहानि के बिना भी स्वत:(खुद) अपराध है : (See section 29 of BNS 2023) धारा ८७, ८८ और ८९ के अपवादों का विस्तार उन कार्यो पर नहीं है जो उस अपहानि…

Continue ReadingIpc धारा ९१ : ऐसे कार्यो का अपवर्जन (बहिष्करण) जो कारित अपहानि के बिना भी स्वत:(खुद) अपराध है :

Ipc धारा ९० : सम्मति, जिसके संबंध में यह ज्ञात हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९० : सम्मति, जिसके संबंध में यह ज्ञात हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है : (See section 28 of BNS 2023) कोई सम्मति ऐसी सम्मति नहीं है जैसी इस संहिता की किसी धारा से आशयित…

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Ipc धारा ८९ : संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८९ : संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य : (See section 27 of BNS 2023) कोई बात या कार्य, जो बारह वर्ष के आयु के या विकृतचित्त व्यक्ति…

Continue ReadingIpc धारा ८९ : संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य :

Ipc धारा ८८ : किसी व्यक्ती के फायदे के लिए उसके सम्मति से सद्भावपूर्वक किया गया कार्य जिसमें मृत्यू कारित करने का आशय नहीं है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८८ : किसी व्यक्ती के फायदे के लिए उसके सम्मति से सद्भावपूर्वक किया गया कार्य जिसमें मृत्यू कारित करने का आशय नहीं है : (See section 26 of BNS 2023) कोई बात या कार्य, जो किसी ऐसी अपहानि के कारण…

Continue ReadingIpc धारा ८८ : किसी व्यक्ती के फायदे के लिए उसके सम्मति से सद्भावपूर्वक किया गया कार्य जिसमें मृत्यू कारित करने का आशय नहीं है :

Ipc धारा ८७ : जिससे मृत्यू या घोर अपहति (गंभीर चोट) कारित करने का आशय न हो या उसकी संभाव्यता न हो उसका ज्ञान न हो, इसी सम्मति से किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८७ : जिससे मृत्यू या घोर अपहति (गंभीर चोट) कारित करने का आशय न हो या उसकी संभाव्यता न हो उसका ज्ञान न हो, इसी सम्मति से किया गया कार्य : (See section 25 of BNS 2023) कोई बात या…

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Ipc धारा ८६ : किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है वह उस व्यक्ती द्वारा किया हो जो मत्तता में है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८६ : किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है वह उस व्यक्ती द्वारा किया हो जो मत्तता में है : (See section 24 of BNS 2023) जहां कि कोई किया गया कोइ कार्य अपराध नहीं…

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Ipc धारा ८५ : जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है, ऐसे व्यक्ति का कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८५ : जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है, ऐसे व्यक्ति का कार्य : (See section 23 of BNS 2023) जब कोई बात, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जो…

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Ipc धारा ८४ : विकृत्तचित्त (अस्वस्थ मस्तिष्क / मनोविकल) व्यक्ति का कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८४ : विकृत्तचित्त (अस्वस्थ मस्तिष्क / मनोविकल) व्यक्ति का कार्य : (See section 22 of BNS 2023) जब कोई बात जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जो उसे करते समय चित्त - विकृति के (अस्वस्थ मस्तिष्क) के कारण उस…

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Ipc धारा ८३ : सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८३ : सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य : (See section 21 of BNS 2023) जब कोई बात, जो सात वष से ऊपर और बारह वर्ष से कम आयु…

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Ipc धारा ८२ : सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८२ : सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य : (See section 20 of BNS 2023) जो सात वर्ष से कम आयु के शिशु द्वारा की गई कोइ बात या कोई कार्य अपराध नहीं है ।

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Ipc धारा ८१ : वह कार्य, जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय (उद्देश) के बिना और अन्य अपहानि न हो या निवारण के लिए किया गया है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८१ : वह कार्य, जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय (उद्देश) के बिना और अन्य अपहानि न हो या निवारण के लिए किया गया है : (See section 19 of BNS 2023) जो कोई बात, केवल…

Continue ReadingIpc धारा ८१ : वह कार्य, जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय (उद्देश) के बिना और अन्य अपहानि न हो या निवारण के लिए किया गया है :

Ipc धारा ८० : विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना(अपघात) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ८० : विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना(अपघात) : (See section 18 of BNS 2023) जो कोई बात, दुर्घटना या दुर्भाग्य से और किसी आपराधिक आशय या ज्ञान के सिवाय विधिपूर्ण प्रकार से विधिपूर्ण साधनों द्वारा और उचित सावधानी और सतर्कता…

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Ipc धारा ७९ : विधि द्वारा न्यायानुमत (समर्थित) या तथ्य (वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७९ : विधि द्वारा न्यायानुमत (समर्थित) या तथ्य (वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य : (See section 17 of BNS 2023) जो कोई बात, ऐसे व्यक्ति…

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Ipc धारा ७८ : न्यायालय के निर्णय या आदेशके अनुसरण में किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७८ : न्यायालय के निर्णय या आदेशके अनुसरण में किया गया कार्य : (See section 16 of BNS 2023) जो कोई बात, न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में की जाए या उसके द्वारा अधिदिष्ट हो, यदि वह उस…

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Ipc धारा ७७ : न्यायिकत: कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७७ : न्यायिकत: कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य : (See section 15 of BNS 2023) जो कोई बात, न्यायिकत: कार्य करते हुए न्यायाधीश द्वारा ऐसी किसी शक्ती के प्रयोग में की जाती है, जो या जिसके बारे में उसे…

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Ipc धारा ७६ : विधि द्वारा बंधा हुआ या तथ्य(वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा बंधा हुआ होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० अध्याय ४ : साधारण अपवाद : धारा ७६ : विधि द्वारा बंधा हुआ या तथ्य(वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा बंधा हुआ होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य : (See section 14 of BNS…

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Ipc धारा ७५ : १.(अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन पुर्व दोषसिद्धि के पश्चात् कतिपय (कुछ) अपराधों के लिए वर्धित (जादा/बढाकर) दण्ड :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ७५ : १.(अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन पुर्व दोषसिद्धि के पश्चात् कतिपय(कुछ) अपराधों के लिए वर्धित (जादा/बढाकर) दण्ड : (See section 13 of BNS 2023) जो कोई व्यक्ती - क) २.(भारत) में के किसी न्यायालय द्वारा इस संहिता…

Continue ReadingIpc धारा ७५ : १.(अध्याय १२ या अध्याय १७ के अधीन पुर्व दोषसिद्धि के पश्चात् कतिपय (कुछ) अपराधों के लिए वर्धित (जादा/बढाकर) दण्ड :