Ipc धारा ११३ : दुष्प्रेरित कार्य कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ११३ : दुष्प्रेरित कार्य कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो : (See section 53 of BNS 2023) अपराध का वर्गीकरण : अपराध : दुष्प्रेरित कार्य कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक…

Continue ReadingIpc धारा ११३ : दुष्प्रेरित कार्य कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो :

Ipc धारा ११२ : दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दुष्प्रेरक कब दण्डनीय है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ११२ : दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दुष्प्रेरक कब दण्डनीय है : (See section 52 of BNS 2023) यदि कोई या वह कार्य, जिसके लिए दुष्प्रेरक अंतिम पूर्ववर्ती धारा के अनुसार दायित्त्व…

Continue ReadingIpc धारा ११२ : दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दुष्प्रेरक कब दण्डनीय है :

Ipc धारा १११ : जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है तब दुष्प्रेरक का दायित्व :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १११ : जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है तब दुष्प्रेरक का दायित्व : (See section 51 of BNS 2023) अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किसी अपराध का दुष्प्रेरण, जब एक…

Continue ReadingIpc धारा १११ : जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है तब दुष्प्रेरक का दायित्व :

Ipc धारा ११० : यदि दुष्प्रेरित व्यक्ती दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है , तब दुष्प्रेरण का दंड :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ११० : यदि दुष्प्रेरित व्यक्ती दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है , तब दुष्प्रेरण का दंड : (See section 50 of BNS 2023) अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किसी अपराध का दुष्प्रेरण, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति…

Continue ReadingIpc धारा ११० : यदि दुष्प्रेरित व्यक्ती दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है , तब दुष्प्रेरण का दंड :

Ipc धारा १०९ : यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरुप किया जाए, और जहां कि उसके दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है, तब दुष्प्रेरण का दण्ड :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०९ : यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरुप किया जाए, और जहां कि उसके दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है, तब दुष्प्रेरण का दण्ड : (See section 49 of BNS 2023) अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किसी अपराध…

Continue ReadingIpc धारा १०९ : यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरुप किया जाए, और जहां कि उसके दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है, तब दुष्प्रेरण का दण्ड :

Ipc धारा १०८ क : भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०८ क : १.(भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण : (See section 47 of BNS 2023) वह व्यक्ती इस संहिता के अर्थ के अन्तर्गत अपराथ का दुष्प्रेरण करता है, जो २.(भारत) से बाहर और उससे परे किसी…

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Ipc धारा १०८ : दुष्प्रेरक(वह जो अपराध का कारित करना दुष्प्रेरित करे) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०८ : दुष्प्रेरक (वह जो अपराध का कारित करना दुष्प्रेरित करे) : (See section 46 of BNS 2023) वह व्यक्ति अपराध का दुष्प्रेरण करता है, जो अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है या ऐसे कार्य के किए जाने…

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Ipc धारा १०७ : किसी बात का दुष्प्रेरण (उकसाना) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० अध्याय ५ : दुष्प्रेरण के विषय में (दुष्प्ररित करने की कार्यवाई या तथ्य) : धारा १०७ : किसी बात का दुष्प्रेरण (उकसाना) : (See section 45 of BNS 2023) वह व्यक्ती किसी बात के किए जाने का दुष्प्रेरण(उकसाना) करता है, जो…

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Ipc धारा १०६ : घातक हमले के विरुद्ध निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार जबकि निर्दोष व्यक्ती को अपहानि होने की जोखिम है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०६ : घातक हमले के विरुद्ध निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार जबकि निर्दोष व्यक्ती को अपहानि होने की जोखिम है : (See section 44 of BNS 2023) जिस हमले से मृत्यु की आशंका युक्तियुक्त(सर्व मान्य) रुप से कारित होती है…

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Ipc धारा १०५ : संपत्ती की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०५ : संपत्ती की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना : (See section 43 of BNS 2023) संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार तब प्रारंभ होता है, जब संपत्ति के संकट की युक्तियुक्त(सर्व मान्य) आशंका प्रारंभ…

Continue ReadingIpc धारा १०५ : संपत्ती की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना :

Ipc धारा १०४ : कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यू से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०४ : कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यू से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है : (See section 42 of BNS 2023) यदी वह अपराध, जिसके किए जाने या जिसके किए जाने के प्रयत्न से निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा…

Continue ReadingIpc धारा १०४ : कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यू से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है :

Ipc धारा १०३ : कब संपत्ती की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यूकारित करने तक का होता है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०३ : कब संपत्ती की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यूकारित करने तक का होता है : (See section 41 of BNS 2023) संपत्ति की निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार, धारा ९९ में वर्णित निर्बंधनों के अध्यधीन…

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Ipc धारा १०२ : शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०२ : शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना : (See section 40 of BNS 2023) शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ(शुरु) हो जाता है, जब अपराध करने के प्रयत्न या…

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Ipc धारा १०१ : कब ऐसे अधिकार (शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा) का विस्तार मृत्यू से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०१ : कब ऐसे अधिकार (शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा) का विस्तार मृत्यू से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है : (See section 39 of BNS 2023) यदि अपराध पूर्वगामी (इससे पहले) अंतिम धारा में प्रगणित भांतियों…

Continue ReadingIpc धारा १०१ : कब ऐसे अधिकार (शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा) का विस्तार मृत्यू से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है :

Ipc धारा १०० : शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यूकारि करने तक कब होता है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा १०० : शरीर की निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यूकारि करने तक कब होता है : (See section 38 of BNS 2023) शरीर की निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार, पूर्ववर्ती अंतिम धारा में वर्णित निर्बंधनों के अधीन रहते…

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Ipc धारा ९९ : कोई कार्य, जिनके विरुध्द निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९९ : कोई कार्य, जिनके विरुध्द निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है : (See section 37 of BNS 2023) यदि कोई कार्य या बात, जिससे मृत्यू या घोर उपहति की आशंका युक्तियुक्त रुप से कारित नहीं होती; सद्भावपूर्वक अपने…

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Ipc धारा ९८ : विकृतचित्त (मनोविकल) व्यक्ती या आदी व्यक्ती के कार्य के विरुद्ध निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९८ : विकृतचित्त (मनोविकल) व्यक्ती या आदी व्यक्ती के कार्य के विरुद्ध निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार : (See section 36 of BNS 2023) जबकि कोई कार्य या बात, जो अन्यथा कोई अपराध होता है, उस कार्य या बात को करने…

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Ipc धारा ९७ : शरीर तथा संपत्ति की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९७ : शरीर तथा संपत्ति की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार : (See section 35 of BNS 2023) इस अधिनियम कें धारा ९९ में अन्तर्विष्ट निर्बंधनों के अध्ययीन, हर व्यक्ती को अधिकार है कि वह - पहला - मानव शरीर…

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Ipc धारा ९६ : निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा में की गई बाते या कार्य :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार के विषय में : धारा ९६ : निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा में की गई बाते या कार्य : (See section 34 of BNS 2023) जो निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाती है, वह बात…

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Ipc धारा ९५ : किसी बात या कार्य से तुच्छ या अल्प अपहानि कारित हो :

भारतीय दण्ड संहिता १८६० धारा ९५ : किसी बात या कार्य से तुच्छ या अल्प अपहानि कारित हो : (See section 33 of BNS 2023) कोई बात या कार्य इस कारण से अपराध नहीं है कि उससे कोई अपहानि कारित होती है या कारित की…

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