Bsa धारा ६० : अवस्थाएँ जिनमें दस्तावेजों के संबंध में द्वितियक साक्ष्य दिया जा सकेगा :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ६० : अवस्थाएँ जिनमें दस्तावेजों के संबंध में द्वितियक साक्ष्य दिया जा सकेगा : किसी दस्तावेज के अस्तित्व, दशा या अन्तर्वस्तु का द्वितीयक साक्ष्य निम्नलिखित अवस्थाओं में दिया जा सकेगा, अर्थात् :- (a) क) जबकि यह दर्शित कर दिया जाए…

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Bsa धारा ५९ : दस्तावेजों का प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित किया जाना :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ५९ : दस्तावेजों का प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित किया जाना : दस्तावेजें एतस्मिन पश्चात वर्णित अवस्थाओं के सिवाय प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित होंगी ।

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Bsa धारा ५८ : द्वितीयक साक्ष्य :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ५८ : द्वितीयक साक्ष्य : द्वितीयक साक्ष्य उसके अन्तर्गत आते है - एक) एतस्मिन पश्चात अन्तर्विष्ट उपबंधो के अधीन दी हुई प्रमाणित प्रतियाँ; दो) मूल से ऐसी यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा, जो प्रक्रियाएँ स्वयं ही प्रति की शुद्धता सुनिश्चित करती है,…

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Bsa धारा ५७ : प्राथमिक साक्ष्य :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ५७ : प्राथमिक साक्ष्य : प्राथमिक साक्ष्य से न्यायालय के निरीक्षण के लिए पेश की गई दस्तावेज स्वयं अभिप्रेत है । स्पष्टीकरण १ : जहाँ कि कोई दस्तावेज कई मूल प्रतियों में निष्पादित है, वहाँ हर एक मूल प्रति उस…

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Bsa धारा ५६ : दस्तावेजों की अंतर्वस्तु का सबूत :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ अध्याय ५ : दस्तावेजी साक्ष्य के विषय में : धारा ५६ : दस्तावेजों की अंतर्वस्तु का सबूत : दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु या तो प्राथमिक या द्वितीयक साक्ष्य द्वारा साबित की जा सकेगी ।

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Bsa धारा ५५ : मौखिक साक्ष्य प्रत्यक्ष होना :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ५५ : मौखिक साक्ष्य प्रत्यक्ष होना : मौखिक साक्ष्य, समस्त अवस्थाओं में चाहे वे कैसी ही हों, प्रत्यक्ष ही होगा, यदि वह ,- एक) किसी देखे जा सकने वाले तथ्य के बारे में है, तो वह ऐसे साक्षी का ही…

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Bsa धारा ५४ : मौखिक साक्ष्य द्वारा तथ्यों का साबित किया जाना :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ अध्याय ४ : मौखिक साक्ष्य के विषय में : धारा ५४ : मौखिक साक्ष्य द्वारा तथ्यों का साबित किया जाना : दस्तावजों की अन्तर्वस्तु के सिवाय सभी तथ्य मौखिक साक्ष्य द्वारा साबित किए जा सकेगें ।

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Bsa धारा ५३ : स्वीकृत तथ्यों को साबित करना आवश्यक नहीं है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ५३ : स्वीकृत तथ्यों को साबित करना आवश्यक नहीं है : किसी ऐसे तथ्य को किसी कार्यवाही में साबित करना आवश्यक नहीं है, जिसे उस कार्यवाही के पक्षकार या उनके अभिकर्ता सुनवाई पर स्वीकार करने के लिए सहमत हो जाते…

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Bsa धारा ५२ : वे तथ्य, जिनकी न्यायिक अवेक्षा (विचारण /ज्ञान या संज्ञान ) न्यायालय को करनी होगी :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ५२ : वे तथ्य, जिनकी न्यायिक अवेक्षा (विचारण /ज्ञान या संज्ञान ) न्यायालय को करनी होगी : १) न्यायालय निम्नलिखित तथ्यों की न्यायिक अवेक्षा करेगा, अर्थात् :- (a) क) भारत के राज्यक्षेत्र में प्रवृत्त समस्त विधियाँ, जिसके अंतर्गत भारत के…

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Bsa धारा ५१ : न्यायिक रुप से अवेक्षणीय तथ्य साबित करना आवश्यक नहीं है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ भाग ३ : अध्याय ३ : तथ्य, जिनका साबित किया जाना आवश्यक नहीं है : धारा ५१ : न्यायिक रुप से अवेक्षणीय तथ्य साबित करना आवश्यक नहीं है : जिस तथ्य की न्यायालय न्यायिक अवेक्षा (विचारण /ज्ञान या संज्ञान) करेगा, उसे…

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Bsa धारा ५० : नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ५० : नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील : सिविल मामलों में यह तथ्य कि किसी व्यक्ति का शील ऐसा है जिससे नुकसानी की रकम पर, जो उसे मिलनी चाहिए प्रभाव पडता है, सुसंगत है । स्पष्टीकरण : धारा ४६,…

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Bsa धारा ४९ : उत्तर में होने के सिवाय पूर्वतन बुरा शील सुसंगत नहीं है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ४९ : उत्तर में होने के सिवाय पूर्वतन बुरा शील सुसंगत नहीं है : दाण्डिक कार्यवाहियों में यह तथ्य कि अभियुक्त व्यक्ति बुरे शील का है, विसंगत है, जब तक कि इस बात का साक्ष्य न दिया गया हो कि…

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Bsa धारा ४८ : कतिपय (कुछ) मामलों में शील या पूर्व लैंगिक अनुभव के साक्ष्य को सुसंगत न होना :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ४८ : कतिपय (कुछ) मामलों में शील या पूर्व लैंगिक अनुभव के साक्ष्य को सुसंगत न होना : भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ६४, धारा ६५, धारा ६६, धारा ६७, धारा ६८, धारा ६९, धारा ७०, धारा ७१, धारा…

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Bsa धारा ४७ : दाण्डिक मामलों में पूर्वतन अच्छा शील सुसंगत है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ४७ : दाण्डिक मामलों में पूर्वतन अच्छा शील सुसंगत है : दाण्डिक कार्यवाहियों में यह तथ्य सुसंगत है कि अभियुक्त व्यक्ति अच्छे शील का है ।

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Bsa धारा ४६ : सिविल मामलों में अध्यारोपित (लांछन लगाना) आचरण साबित करने के लिए शील विसंगत है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ शील (चरित्र) कब सुसंगत है : धारा ४६ : सिविल मामलों में अध्यारोपित (लांछन लगाना) आचरण साबित करने के लिए शील विसंगत है : सिविल मामलों में यह तथ्य कि किसी सम्पृक्त व्यक्ति का शील ऐसा है कि जो उस पर…

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Bsa धारा ४५ : राय के आधार कब सुसंगत है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ४५ : राय के आधार कब सुसंगत है : जब कभी किसी जीवित व्यक्ति की राय सुसंगत है, तब वे आधार भी जिन पर वह आधारित है, सुसंगत है । दृष्टांत : कोई विशेषज्ञ अपनी राय बनाने के प्रयोजनार्थ किए…

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Bsa धारा ४४ : नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ४४ : नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है : जबकि न्यायालय को एक व्यक्ति की किसी अन्य के साथ नातेदारी के बारे में राय बनानी हो, तब ऐसी नातेदारी के अस्तित्व के बारे में ऐसे किसी व्यक्ती के…

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Bsa धारा ४३ : प्रथाओं, सिद्धातों आदि के बारे में रायें कब सुसंगत है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ४३ : प्रथाओं, सिद्धातों आदि के बारे में रायें कब सुसंगत है : जबकि न्यायालय को - एक) मनुष्यों के किसी निकाय या कुटुम्ब की प्रथाओं और सिद्धांतो के, दो) किसी धार्मिक या खैराती प्रतिष्ठान के संविधान और शासन के,…

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Bsa धारा ४२ : साधारण रुढि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में रायें कब सुसंगत है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ४२ : साधारण रुढि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में रायें कब सुसंगत है : जबकि न्यायालय को किसी साधारण रुढि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में राय बनानी हो, तब ऐसी रुढि या अधिकार के अस्तित्व के…

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Bsa धारा ४१ : हस्तलेख और डिजिटल हस्ताक्षर के बारे में राय कब सुसंगत है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ धारा ४१ : हस्तलेख और डिजिटल हस्ताक्षर के बारे में राय कब सुसंगत है : १) जबकि न्यायालय को राय बनानी हो कि कोई दस्तावेज किसी व्यक्ति ने लिखि या हस्ताक्षरित की थी, तब उस व्यक्ति के हस्तलेख से, जिसके द्वारा…

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