भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा ९२ :
तीस वर्ष पुरानी दस्तावेजों के बारे में उपधारणा :
जहाँ कि कोई दस्तावेज, जिसका तीस वर्ष पुरानी होना तात्पर्यित है या साबित किया गया है, ऐसी किसी अभिरक्षा में से, जिसे न्यायालय उस विशिष्ट मामले में उचित समझता है, पेश की गई है, वहाँ न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि ऐसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर और उसका हर अन्य भाग, जिसका किसी विशिष्ट व्यक्ति के हस्तलेख में होना तात्पर्यित है, उस व्यक्ति के हस्तलेख में है, और निष्पादित या अनुप्रमाणित दस्तावेज होने की दशा में यह उपधारित कर सकेगा कि वह उन व्यक्तियों द्वारा सम्यक् रुप से निष्पादित और अनुप्रमाणित की गई थी जिनके द्वारा उसका निष्पादित और अनुप्रमाणित होना तात्पर्यित है ।
धारा ८० का स्पष्टीकरण इस धारा को भी लागू है ।
दृष्टांत :
(a) क) (ऐ) भू-संपत्ति पर दीर्घकाल से कब्जा रखता आया है । वह उस भूमि संबंधी विलेक, जिनसे उस भूमि पर उसका हक दर्शित होता है, अपनी अभिरक्षा में से पेश करता है । यह अभिरक्षा उचित होगी ।
(b) ख) (ऐ) उस भू-संपत्ति से संबद्ध विलेक, जिसका वह बंधकदार है, पेश करता है । बंधककर्ता संपत्ति पर कब्जा रखता है, यह अभिरक्षा उचित होगी ।
(c) ग) (बी) का संसंगी (ऐ), (बी) के कब्जे वाली भूमि से संबंधित विलेख पेश करता है, जिन्हें (बी) ने उसके पास सुरक्षित अभिरक्षा के लिए निक्षिप्त किया था । यह अभिरक्षा उचित होगी ।