Bsa धारा ६ : हेतु, तैयारी और पुर्व का या पश्चात् का आचरण :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा ६ :
हेतु, तैयारी और पुर्व का या पश्चात् का आचरण :
१) कोई भी तथ्य, जो किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य का हेतु या तैयारी दर्शित या गठित करता है, सुसंगत है ।
२) किसी वाद या कार्यवाही के किसी पक्षकार या किसी पक्षकार के अभिकर्ता का ऐसे वाद या कार्यवाही के बारे में या उसमें विवाद्यक तथ्य या उससे सुसंगत किसी तथ्य के बारे में आचरण और किसी ऐसे व्यक्ति का आचरण, जिसके विरुद्ध कोई अपराध किसी कार्यवाही का विषय है, सुसंगत है, यदि ऐसा आचरण किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य को प्रभावित करता है या उससे प्रभावित होता है, चाहे वह उससे पूर्व का हो या पश्चात् का ।
स्पष्टीकरण १ :
इस धारा में आचरण शब्द के अन्तर्गत कथन नहीं आते, जब तक की वे कथन उन कथनों से भिन्न कार्यों के साथ-साथ और उन्हें स्पष्ट करने वाले नहीं हों, किन्तु इस अधिनियम की किसी अन्य धारा के अधीन उन कथनों की सुसंगति पर इस स्पष्टीकरण का प्रभाव नहीं पडेगा ।
स्पष्टीकरण २ :
जब किसी व्यक्ति का आचरण सुसंगत है, तब उससे, या उसकी उपस्थिति और श्रवणगोचरता (सुनते हुए / श्रवण शक्ति ) में किया गया कोई भी कथन, जो उस आचरण पर प्रभाव डालता है, सुसंगत है ।
दृष्टांत :
(a) क) (बी) की हत्या के लिए (ऐ) का विचारण किया जाता है । ये तथ्य कि (ऐ) ने (सी) की हत्या की, कि (बी) जानता था कि (ऐ) ने (सी) की हत्या की है और कि (बी) ने अपनी इस जानकारी को लोकविदित करने की धमकी देकर (ऐ) से धन उद्यापित करने का प्रयत्न किया था, सुसंगत है ।
(b) ख) (ऐ) बंधपत्र के आधार पर रुपए के संदाय के लिए (बी) पर वाद लाता है । (बी) इस बात का प्रत्याख्यान (इन्कार / अस्वीकार) करता है कि उसने बंधपत्र लिखा । यह तथ्य सुसंगत है कि उस समय, जब बंधपत्र का लिखा जाना अभिकथित है, बी को किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए धन चाहिए था ।
(c) ग) विष द्वारा (बी) की हत्या करने के लिए (ऐ) का विचारण किया जाता है । यह तथ्य सुसंगत है कि बी की मृत्यु के पूर्व ऐ ने बी को दिए गए विष के जैसा विष उपाप्त (सावधानी द्वारा प्राप्त करना) किया था ।
(d) घ) प्रश्न यह है कि क्या अमुक दस्तावेज (ऐ) की विल है । ये तथ्य सुसंगत है कि अभिकथित विल की तारीख से थोडे दिन पहले (ऐ) ने उन विषयों की जाँच की, जिनसे अभिकथित विल के उपबंधों का संबंध है, कि उसने वह विल करने के बारे में अधिवक्ताओं से परामर्थ किया और उसने अन्य विलों के प्रारुप बनवाए, जिन्हें उसने पसंद नहीं किया ।
(e) ङ) (ऐ) किसी अपराध का अभियुक्त है । ये तथ्य कि अभिकथित अपराध से पूर्व या अपराध करने के समय या पश्चात (ऐ) ने ऐसे साक्ष्य का प्रबंध किया जिसकी प्रवृत्ति ऐसी थी कि मामले के तथ्य उसे अनुकूल प्रतीत हों या कि उसने साक्ष्य को नष्ट किया या छिपाया या कि उन व्यक्तियों की, जो साक्षी हो सकते थे, उपस्थिति निवारित की या अनुपस्थिति उपाप्त की या लोगों को उसके संबंध में मिथ्या साक्ष्य देने के लिए तैयार किया, सुसंगत है ।
(f) च) प्रश्न यह है कि क्या (ऐ) ने (बी) को लूटा । ये तथ्य कि (बी) के लूटे जाने के पश्चात् (सी) ने (ऐ) की उपस्थिति में कहा कि (बी) को लूटने वाले आदमी को खोजने के लिए पुलिस आ रही है, और यह कि उसके तुरन्त पश्चात् (ऐ) भाग गया, सुसंगत है ।
(g) छ) प्रश्न यह है कि क्या (बी) के प्रति (ऐ), १०००० रुपए का देनदार है । यह तथ्य कि (ऐ) ने (सी) से धन उधार भांगा और कि (डी) ने (सी) से (ऐ) की उपस्थिति और श्रवण गोचरता में कहा कि मेै तुम्हें सलाह देता हूं कि तुम (ऐ) पर भरोसा न करो, क्योंकि वह (बी) के प्रति १०००० रुपए का देनदार है, और कि (ऐ) कोई उत्तर दिए बिना चला गया, सुसंगत तथ्य है ।
(h) ज) प्रश्न यह कि क्या (ऐ) ने अपराध किया है । यह तथ्य कि (ऐ) एक प्रत्र पाने के उपरान्त, जिसमें उसे चेतावनी दी गई थी कि अपराधी के लिए जाँच की जा रही है, फरार हो गया और उस पत्र की अंतर्वस्तु, सुसंगत है ।
(i) झ) (ऐ) किसी अपराध का अभियुक्त है । ये तथ्य कि अभिकथित अपराध के किए जाने के पश्चात् वह फरार हो गया या कि उस अपराध से अर्जित संपत्ति या संपत्ति के आगम उसके कब्जे में थे या कि उसने उन वस्तुओं को, जिनसे वह अपराध किया गया था, या किया जा सकता था, छिपाने का प्रयत्न किया, सुसंगत है ।
(j) ञ)प्रश्न यह है कि क्या (ऐ) के साथ बलास्तंग किया गया । यह तथ्य कि अभिकथित बलात्संग के अल्पकाल पश्चात् उसने अपराध के बारे में परिवाद किया, वे परिस्थितियां जिनके अधीन तथा वे शब्द जिनमें वह परिवाद किया गया, सुसंगत है । यह तथ्य कि (क) ने परिवाद किए बिना कहा कि मेरे साथ बलात्संग किया गया है, इस धारा के अधीन आचरण के रुप में सुसंगत नहीं है । यद्यपि वह धारा २६ खण्ड (a)(क) के अधीन मृत्युकालिक कथन, या धारा १६० के अधीन सम्पोषक साक्ष्य (साक्ष्य जो अन्य साक्ष्य से मेल खाता हो ।) के रुप में सुसंगत हो सकता है ।
(k) ट) प्रश्न यह है कि क्या (ऐ) का लूटा गया । यह तथ्य कि अभिकथित लूट के तुरन्त पश्चात् (क) ने अपराध के संबंध में परिवाद किया, वे परिस्थितियाँ जिनके अधीन तथा वे शब्द, जिनमें वह परिवाद किया गया, सुसंगत है; यह तथ्य कि (क) ने कोई परिवाद किए बिना कहा कि मुझे लूया गया है इस धारा के अधीन आचरण के रुप में सुसंगत नहीं है; यद्यपि वह धारा २६ खण्ड (a)(क) के अधीन मृत्युकालिक कथन, या धारा १६० के अधीन सम्पोषक साक्ष्य (साक्ष्य जो अन्य साक्ष्य से मेल खाता हो ।) के रुप में सुसंगत हो सकता है ।

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