भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा ६४ :
पेश करने की सूचना के बारे में नियम :
धारा ६०, खण्ड (a)(क) में निर्दिष्ट दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु का द्वितीयक साक्ष्य तब तक न दिया जा सकेगा, जब तक ऐसे द्वितीयक साक्ष्य देने की प्रस्थापना करने वाले पक्षकार ने उस पक्षकार को जिसके कब्जे में या शक्त्यधीन वह दस्तावेज है या उसके अधिवक्ता या प्रतिनिधि को उसे पेश करने के लिए सूचना, जैसी कि विधि द्वारा विहित है, और यदि विधि द्वारा कोई सूचना विहित नहीं हो तो ऐसी सूचना जैसी न्यायालय मामले की परिस्थितियों के अधीन युक्तियुक्त समझता है, न दे दी हो :
परन्तु ऐसी सूचना निम्नलिखित अवस्थाओं में से किसी में अथवा किसी भी अन्य अवस्था में, जिसमें न्यायालय उसके दिए जाने से अभिमुक्ति प्रदान कर दे, द्वितीयक साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिए अपेक्षित नहीं कि जाएगी :-
(a) क) जबकि साबित की जाने वाली दस्तावेज स्वयं एक सूचना है;
(b) ख) जबकि प्रतिपक्षी को मामले की प्रकृति से यह जानना ही होगा कि उसे पेश करने की उससे अपेक्षा की जाएगी;
(c) ग) जबकि यह प्रतीत होता है या साबित किया जाता है कि प्रतिपक्षी ने मूल पर कब्जा कपट या बल द्वारा अभिप्राप्त कर लिया है ;
(d) घ) जबकि मूल प्रतिपक्षी या उसके अभिकर्ता के पास न्यायालय में है;
(e) ङ) जबकि प्रतिपक्षी या उसके अभिकर्ता ने उसका खो जाना स्वीकार कर लिया है;
(f) च) जबकि दस्तावेज पर कब्जा रखने वाला व्यक्ति न्यायालय की आदेशिका की पहुँच के बाहर है या ऐसी आदेशिका के अध्यधीन नहीं है।