भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा ५५ :
मौखिक साक्ष्य प्रत्यक्ष होना :
मौखिक साक्ष्य, समस्त अवस्थाओं में चाहे वे कैसी ही हों, प्रत्यक्ष ही होगा, यदि वह ,-
एक) किसी देखे जा सकने वाले तथ्य के बारे में है, तो वह ऐसे साक्षी का ही साक्ष्य होगा, जो कहता है कि उसने उसे देखा;
दो) किसी सुने जा सकने वाले तथ्य के बारे में है, तो वह ऐसे साक्षी का ही साक्ष्य होगा जो कहता है कि उसने उसे सुना;
तीन) किसी ऐसे तथ्य के बारे में जिसका किसी अन्य इंद्रिय द्वारा या किसी अन्य रीति से बोध हो सकता था, तो वह ऐसे साक्षी का ही साक्ष्य होगा जा कहता है कि उसने उसका बोध इस इंद्रिय द्वारा या उस रीति से किया;
चार) किसी राय के, या उन आधारों के, जिन पर राय धारित है, बारे में है, तो वह उस व्यक्ति का ही साक्ष्य होगा जो वह राय उन आधारों पर धारण करता है :
परन्तु विशेषज्ञों की राय, जो सामान्यत: विक्रय के लिए प्रस्थापित की जाने वाली किसी पुस्तक में अभिव्यक्त है, और वे आधार, जिन पर ऐसी राय धारित है, यदि रचयिता मर गया है, या वह मिल नहीं सकता है या वह साक्ष्य देने के लिए असमर्थ हो गया है या उसे इतने विलम्ब या व्यय के बिना जितना न्यायालय अयुक्तियुक्त समझता है, साक्षी के रुप में बुलाया नहीं जा सकता हो, ऐसी पुस्तकों को पेश करके साबित किए जा सकेंगे :
परन्तु यह भी कि यदि मौखिक साक्ष्य दस्तावेज से भिन्न किसी भौतिक चीज के अस्तित्व या दशा के बारे में है, तो न्यायालय यदि वह ठीक समझे, ऐसी भौतिक चीज को अपने निरीक्षणार्थ पेश किया जाना अपेक्षित कर सकेगा ।