भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १९ :
स्वीकृतियों का उन्हें करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध और उनके द्वारा या उनकी और से साबित किया जाना :
स्वीकृतियाँ उन्हें करने वाले व्यक्ति के या उसके हित प्रतिनिधि के विरुद्ध सुसंगत है और साबित की जा सकेगी, किन्तु उन्हें करने वाले व्यक्ति द्वारा या उसकी और से या उसके हित प्रतिनिधि द्वारा निम्नलिखित अवस्थाओं में के सिवाय उन्हे साबित नहीं किया जा सकेगा, अर्थात् :-
१) कोई स्वीकृति उसे करने वाले व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से तब साबित की जा सकेगी, जबकि वह इस प्रकृति की है कि यदि उसे करने वाला व्यक्ति मर गया होता, तो वह अन्य व्यक्तियों के बीच धारा २६ के अधीन सुसंगत होती ।
२) कोई स्वीकृति उसे करने वाले व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से तब साबित की जा सकेगी, जबकि वह मन की या शरीर की सुसंगत या विवाद्य किसी दशा के अस्तित्व का ऐसा कथन है जो उस समय या उसके लगभग किया गया था, जब मन की या शरीर की ऐसी दशा विद्यमान थी और ऐसे आचरण के साथ है जो उसकी असत्यता को अनधिसम्भाव्य कर देता है ।
३) कोई स्वीकृति उसे करने वाले व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से साबित की जा सकेगी, यदि वह स्वीकृति के रुप में नहीं किन्तु अन्यथा सुसंगत है ।
दृष्टांत :
(a) क) (ऐ) और (बी) के बीच प्रश्न यह है कि अमुक विलेख कूटरचित है या नहीं । (ऐ) प्रतिज्ञात करता है कि वह असली है, (बी) प्रतिज्ञात करते है कि वह कूटरचित है । (बी) का कोई कथन कि विलेख असली है, (ऐ) साबित कर सकेगा तथा (ऐ) का कोई कथन कि विलेख कूटरचित है, (बी) साबित कर सकेगा । किन्तु (ऐ) अपना यह कथन कि विलेख असली है साबित नहीं कर सकेगा और न (बी) ही अपना यह कथन विलेख कूटरचित है, साबित कर सकेगा ।
(b) ख) किसी पोत के कप्तान, (ऐ) का विचारण उस पोत को संत्यक्त (छोडना / फेंकना) करने के लिए किया जाता है । यह दर्शित करने के लिए साक्ष्य दिया जाता है कि पोत अपने उचित मार्ग से बाहर ले जाया गया था । (ऐ) अपने कारबार के मामूली अनुक्रम में अपने द्वारा रखी जाने वाली वह पुस्तक पेश करता है जिसमें वे संप्रेषण (विचार / टिका -टिपण्णी) दर्शित है, जिनके बारे में यह अभिकथित है कि वे दिन-प्रतिदिन किए गए थे और जिनसे उपदर्शित है कि पोत अपने उचित मार्ग से बाहर नहीं ले जाया गया था । (ऐ) इन कथनों को साबित कर सकेगा क्योंकि, यदि उसकी मृत्यु हो गई तो वे कथन अन्य व्यक्तियों के बीच धारा २६ की खंड (ख) के अधीन ग्राह्य होते ।
(c) ग) (ऐ) अपने द्वारा कोलकाता में किए गए अपराध का अभियुक्त है । वह अपने द्वारा लिखित और उस दिन चैन्नई में दिनांकित और उसी दिन का चैन्नई डाक चिन्ह धारण करने वाला पत्र पेश करता है । पत्र की तारीख का कथन ग्राह्य है क्योंकि, यदि (ऐ) की मृत्यु हो गई होती तो वह धारा २६ की खंड (ख) के अधीन ग्राह्य होता ।
(d) घ) (ऐ) चुराए हुए माल को यह जानते हुए कि वह चुराया हुआ है प्राप्त करने का अभियुक्त है । वह यह साबित करने की प्रस्थापना करता है कि उसने उसके मूल्य से कम में बेचने से इंकार किया था । यद्यपि ये स्वीकृतियाँ है तथापि (ऐ) इन कथनों को साबित कर सकेगा, क्योंकि ये विवाद्यक तथ्यों से प्रभावित उसके आचरण के स्पष्टीकारक है ।
(e) ङ) (ऐ) अपने कब्जे में कूटकृत सिक्का जिसका कूटकृत होना वह जानता था, कपटपूर्वक रखने का अभियुक्त है । वह यह साबित करने की प्रस्थापना करता है कि उसने एक कुशल व्यक्ति से उस सिक्के की परीक्षा करने को कहा था, क्योंकि उसे शंका थी कि वह कूटकृत है या नहीं और उस व्यक्ति ने उसकी परीक्षा की थी और उसने कहा था कि वह असली है । (ऐ) इन तथ्यों को साबित कर सकेगा ।