भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १६२ :
स्मृति ताजी करना :
१) कोई साक्षी जबकि वह परीक्षा के अधीन है, किसी ऐसे लेख को देख करके, जो कि स्वयं उसने उस संव्यवहार के समय जिसके संबंध में उससे प्रश्न किया जा रहा है, या इतने शीघ्र पश्चात् बनाया हो कि न्यायालय इसे संभाव्य समझता हो कि वह संव्यवहार उस समय उसकी स्मृति में ताजा था, अपनी स्मृति को ताजा कर सकेगा :
परंतु साक्षी उपर्युक्त प्रकार के किसी ऐसे लेख को भी देख सकेगा जो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा तैयार किया गया हो और उस साक्षी द्वारा उपर्युक्त समय के भीतर पढा गया हो, यदि वह उस लेख का, उस समय जबकि उसने उसे पढा था, सही होना जानता था ।
२) जब कभी कोई साक्षी अपनी स्मृति किसी दस्तावेज को देखने से ताजी कर सकता है, तब वह न्यायालय की अनुज्ञा से ऐसी दस्तावेज की प्रतिलिपि को देख सकेगा :
परन्तु यह तब जबकि न्यायालय का समाधान हो गया हो कि मूल को पेश न करेने के लिए पर्याप्त कारण है :
परन्तु यह और कि विशेषज्ञ अपनी स्मृति वृत्तिक पुस्तकों को देख कर ताजी कर सकेगा ।