भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १४९ :
प्रतिपरीक्षा में विधिपूर्ण प्रश्न :
जबकि किसी साक्षी से प्रतिपरीक्षा की जाती है, तब उससे एतस्मिनपूर्व निर्दिष्ट प्रश्नों के अतिरिक्त ऐसे कोई भी प्रश्न पूछे जा सकेंगे, जिनकी प्रवृत्ति, –
(a) क) उसकी सत्यवादिता परखने की है; अथवा
(b) ख) यह पता चलाने की है वह कौन है और जीवन में उसकी स्थिति क्या है; अथवा
(c) ग) उसके शील को दोष लगाकर उसकी विश्वसनीयता को धक्का पहुंचाने की है, चाहे ऐसे प्रश्नों का उत्तर उसे प्रत्यक्षत: या परोक्षत: अपराध में फंसाने की प्रवृत्ति रखता हो, या उसे किसी शास्ति या समपहरण (खो देना) के लिए उच्छन्न करता हो या प्रत्यक्षत: या परोक्षत: उच्छन्न (खुला छोडना) करने की प्रवृत्ति रखता हो :
परन्तु भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ६४, धारा ६५, धारा ६६, धारा ६७, धारा ६८, धारा ६९, धारा ७० या धारा ७१ के अधीन किसी अपराध के लिए या ऐसे किसी अपराध को करने के प्रयत्न के लिए किसी अभियोजन में, जहाँ सम्मति का प्रश्न विवाद्य है, वहाँ पीडिता की प्रतिपरीक्षा में उसके साधारण अनैतिक आचरण या किसी व्यक्ति के साथ पूर्व लैंगिक अनुभव के बारे में ऐसे सम्मति या सम्मति की प्रकृति के लिए साक्ष्य देना या प्रश्नों को पूछना अनुज्ञेय नहीं होगा ।