Bsa धारा १४१ : न्यायाधीश साक्ष्य की ग्राह्यता के बारे में निश्चय करेगा :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १४१ :
न्यायाधीश साक्ष्य की ग्राह्यता के बारे में निश्चय करेगा :
१) जबकि दोनों में से कोई पक्षकार किसी तथ्य का साक्ष्य देने की प्रस्थापना करता है, तब न्यायाधीश साक्ष्य देने की प्रस्थापना करने वाले पक्षकार से पूछ सकेगा कि अभिकथित तथ्य, यदि वह साबित हो जाए, किसी प्रकार सुसंगत होगा, और यदि न्यायाधीश यह समझता है कि वह तथ्य यदि साबित हो गया तो सुसंगत होगा, तो वह उस साक्ष्य को ग्रहण करेगा अन्यथा नहीं ।
२) यदि वह तथ्य, जिसका साबित करना प्रस्थापित है, ऐसा है जिसका साक्ष्य किसी अन्य तथ्य के साबित होने पर ही ग्राह्य होता है, तो ऐसा अंतिम वर्णित तथ्य प्रथम वर्णित तथ्य का साक्ष्य दिए जाने के पूर्व साबित करना होगा, जब तक कि पक्षकार ऐसे तथ्य को साबित करने का वचन न दे दे और न्यायालय ऐसे वचन से संतुष्ट न हो जाए ।
३) यदि एक अभिकथित तथ्य की सुसंगति अन्य अभिकथित तथ्य के प्रथम साबित होने पर निर्भर हो, तो न्यायाधीश अपने विवेकानुसार या तो दूसरे तथ्य के साबित होने के पूर्व प्रथम तथ्य का साक्ष्य दिया जाना अनुज्ञात कर सकेगा, या प्रथम तथ्य का साक्ष्य दिए जाने के पूर्व द्वितीय तथ्य का साक्ष्य दिए जाने की अपेक्षा कर सकेगा ।
दृष्टांत :
(a) क) यह प्रस्थापना (प्रस्ताव करना) की गई है कि एक व्यक्ति के, जिसका मृत होना अभिकथित है, सुसंगत तथ्य के बारे में एक कथन को, जो कि धारा ३२ के अधीन सुसंगत है, साबित किया जाए । इससे पूर्व कि उस कथन का साक्ष्य दिया जाए उस कथन के साबित करने की प्रस्थापना करने वाले व्यक्ति को यह तथ्य साबित करना होगा कि वह व्यक्ति मर गया है ।
(b) ख) यह प्रस्थापना कि गई है कि ऐसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु को, जिसका खोई हुई होना कथित है, प्रतिलिपि द्वारा साबित किया जाए । यह तथ्य कि मूल खो गया है प्रतिलिपि पेश करने की प्रस्थापना करने वाले व्यक्ति को वह प्रतिलिपि पेश करने से पूर्व साबित करना होगा ।
(c) ग) (ऐ) चुराई हुई सम्पत्ति को यह जानते हुए कि वह चुराई हुई है, प्राप्त करने का अभियुक्त है । यह साबित करने की प्रस्थापना की गई है कि उसने उस सम्पत्ति के कब्जे का प्रत्याख्यान (इन्कार) किया । इस प्रत्याख्यान की सुसंगति सम्पत्ति की अनन्यता पर निर्भर है । न्यायालय अपने विवेकानुसार या तो कब्जे के प्रत्याख्यान के साबित होने से पूर्व सम्पत्ति की पहचान की जानी अपेक्षित कर सकेगा, या संपत्ति की पहचान की जाने के पूर्व कब्जे का प्रत्याख्यान (इन्कार) साबित किए जाने की अनुज्ञा दे सकेगा ।
(d) घ) किसी तथ्य (ऐ) के, जिसका किसी विवाद्यक तथ्य का हेतुक या परिणाम होना कथित है, साबित करने की प्रस्थापना की गई है । कई मध्यांतरिक तथ्य (ख), (ग) और (घ) है, जिनका इसके पूर्व की तथ्य (क) उस विवाद्यक तथ्य का हेतुक या परिणाम माना जा सके, अस्तित्व में होना दर्शित किया जाना आवश्यक है । न्यायालय या तो (ख), (ग) या (घ) के साबित किए जाने के पूर्व (क) के साबित किए जाने की अनुज्ञा दे सकेगा, या (क) का साबित किया जाना अनुज्ञात करने के पूर्व (ख), (ग) और (घ) का साबित किया जाना अपेक्षित कर सकेगा ।

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