भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
अध्याय ८ :
विबंध (किसी कार्य करने के अधिकार पर रोक या रुकावट जो मनुष्य के स्वयं के कार्य से उत्पन्न हुई हो ) :
धारा १२१ :
विबंध :
जबकि एक व्यक्ति ने अपनी घोषणा, कार्य या लोप द्वारा अन्य व्यक्ति को विश्वास साशय कराया है या कर लेने दिया है कि कोई बात सत्य है और ऐसे विश्वास पर कार्य कराया या करने दिया है, तब न तो उसे और न उसके प्रतिनिधि को अपने और ऐसे व्यक्ति के, या उसके प्रतिनिधि के, बीच किसी वाद या कार्यवाही में उस बात की सत्यता का प्रत्याख्यान (इन्कार / अस्वीकार) करने दिय जाएगा ।
दृष्टांत :
(ऐ) साशय और मिथ्या रुप से (बी) को यह विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है कि अमुक भूमि (ऐ) की है, और तद्द्वारा (बी) को उसे क्रय करने और उसका मूल्य चुकाने के लिए उत्प्रेरित करता है । तत्पश्चात् भूमि (ऐ) की सम्पत्ति हो जाती है और (ऐ) इस आधार पर कि विक्रय के समय उसका उसमें हक नहीं था, विक्रय अपास्त करने की ईप्सा करता है । उसे अपने हक का अभाव साबित नहीं करने दिया जाएगा ।