भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा ११९ :
न्यायालय किन्हीं तथ्यों का अस्तित्व उपधारित कर सकेगा :
१) न्यायालय ऐसे किसी तथ्य का अस्तित्व उपधारित कर सकेगा जिसका घटित होना उस विशिष्ट मामले के तथ्यों के संबंध में प्राकृतिक घटनाओं, मानवीय आचरण तथ्या लोक और प्राइवेट कारबार के सामान्य अनुक्रम को ध्यान में रखते हुए वह संभाव्य समझता है ।
दृष्टांत :
न्यायालय उपधारित कर सकेगा कि, :-
(a) क) चुराए हुए माल पर जिस मनुष्य का चोरी शीघ्र उपरान्त कब्जा है, जब तक की वह अपने कब्जे का कारण न बता सके, या तो वह चोर है या उसने माल को चुराया हुआ जानते हुए प्राप्त किया है;
(b) ख) सह-अपराधी विश्वसनीयता के अयोग्य है, जब तक कि तात्विक विशिष्टीयों में उसकी संपुष्टि नहीं होती;
(c) ग) कोई प्रतिगृहीत या पृष्ठांकित विनिमयपत्र समुचित प्रतिफल के लिए प्रतिगृहित या पृष्टांकित किया गया था;
(d) घ) ऐसी कोई चीज या चीजों की दशा अब भी अस्तित्व में है, जिसका उतनी कालावधि से, जितनी में ऐसी चीजें या चीजों की दशांए प्राय: अस्तित्व शून्य हो जाती है, लघुतर कालावधि में अस्तित्व में होना दर्शित किया गया है;
(e) ङ) न्यायिक और पदीय कार्य नियमित रुप में संपादित किए गए है;
(f) च) विशिष्ट मामलों में कारबार के सामान्य अनुक्रम का अनुसरण किया गया है;
(g) छ) यदि वह साक्ष्य जो पेश किया जा सकता था और पेश नहीं किया गया है, पेश किया जाता तो, उस व्यक्ति के अननुकूल होता, जो उसका विधारण किए हुए है;
(h) ज) यदि कोई मनुष्य ऐसे किसी प्रश्न का उत्तर देने से इंकार करता है, जिसका उत्तर देने के लिए वह विधि द्वारा विवश नहीं है, तो उत्तर यदि दिया जाता, उसके अननुकूल होता ;
(i) झ) जब किसी बाध्यता का सृजन करने वाली दस्तावेज बाध्यताधारी के हाथ में है, तब उस बाध्यता का उन्मोचन हो चुका है ।
२) न्यायालय यह विचार करने में कि ऐसे सूत्र उसके समक्ष के विशिष्ट मामले को लागू होते है या नहीं, निम्नलिखित प्रकार के तथ्यों को भी ध्यान रखेगा :-
एक) दृष्टांत (a)(क) के बारे में :
किसी दुकानदार के पास उसके गल्ले में कोई चिन्हींत रुपया उसके चुराए जाने के शीघ्र पश्चात है और वह उसके कब्जे का कारण विनिर्दिष्टत: नहीं बता सकता, किन्तु अपने कारबार के अनुक्रम में वह रुपये लगातार प्राप्त कर रहो है;
दो) दृष्टांत (b)(ख) के बारे में :
एक अत्यन्त उँचे शील का व्यक्ति , (ऐ) किसी मशीनरी को ठीक-ठीक लगाने में किसी उपेक्षापूर्वक कार्य द्वारा किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करने के लिए विचारित है । वैसा ही अच्छे शील का व्यक्ति, (बी) जिसने मशीनरी लगाने के उस काम में भाग लिया था, ब्यौरेवार वर्णन करता है कि क्या – क्या किया गया था, और (ऐ) की और स्वयं अपनी सामान्य असावधानी स्वीकृत और स्पष्ट करता है;
तीन) दृष्टान्त (b)(ख) के बारे में :
कोई अपराध कोई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है । अपराधियों में से तीन (ऐ), (बी) और (सी) घटनास्थल पर पकडे जाते है और एक दूसरे से अलग रखे जाते है । अपराध का विवरण उनमें से हर एक ऐसा देता है जो (डी) को आलिप्त करता है और ये विवरण एक दूसरे को किसी ऐसी रीति में सम्पुष्ट करते है, जिससे उनमें यह अति अनधिसम्भाव्य हो जाता है कि उन्होंने इसके पूर्व मिलकर कोई योजना बनाई थी;
चार) दृष्टांत (c)(ग) के बारे में :
किसी विनिमय-पत्र का लेखीवाल ऐ व्यापारी था । प्रतिगृहीता (बी) पुर्णत: (ऐ) के असर के अधीन एक युवक और नासमझ व्यक्ति था;
पांच) दृष्टांत (d)(घ) के बारे में :
यह साबित किया गया है कि कोई नदी अमुक मार्ग में पाँच वर्ष पूर्व बहती थी, किन्तु यह ज्ञात है कि उस समय से ऐसी बाढें आई है जो उसके मार्ग को परिवर्तित कर सकती थी;
छह) दष्टांत (e)(ङ) के बारे में :
कोई न्यायिक कार्य, जिसकी नियमितता, प्रश्नगत है, असाधारण परिस्थितियों में किया गया था;
सात) दृष्टांत (f)(च) के बारे में :
प्रश्न यह है कि क्या कोई पत्र प्राप्त हुआ था । उसका डाक में डाला जाना दर्शित किया गया है किन्तु डाक के सामान्य अनुक्रम में उपद्रवों के कारण विघ्न पडा था ;
आठ) दृष्टांत (g)(छ) के बारे में :
कोई मनुष्य किसी ऐसी दस्तावेज को पेश करने से इंकार करता है जिसका असर किसी अल्प महत्व की ऐसी संविदा पर पडता है, जिसके आधार पर उसके विरुद्ध वाद लाया गया है, किन्तु जो उसके कुटुम्ब की भावनाओं और ख्याति को भी क्षति पहुँचा सकती है;
नौ) दृष्टांत (h)(ज) के बारे में :
कोई मनुष्य किसी प्रश्न का उत्तर देने से इंकार करता है जिसका उत्तर देने के लिए वह विधि द्वारा विवश नहीं है, किन्तु उसका उत्तर उसे उस विषय से असंसक्त विषयों में हानि पहुँचा सकता है, जिसके संंबंध में वह पूछा गया है;
दस) दृष्टांत (i)(झ) के बारे में :
कोई बंधपत्र बाध्यताधारी के कब्जे में है, किन्तु मामले की परिस्थितियाँ ऐसी है कि हो सकता है उसने उसे चुराया हो ।