Bsa धारा १०४ : सबूत का भार :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
भाग ४ :
साक्ष्य का पेश किया जाना और प्रभाव :
अध्याय ७ :
सबूत के भार के विषय में :
धारा १०४ :
सबूत का भार :
जो कोई न्यायालय से यह चाहता है कि वह ऐसे किसी विधिक अधिकार या दायित्व के बारे में निर्णय दे जो उन तथ्यों के अस्तित्व पर निर्भर है, जिन्हें वह प्राख्यात करता है, उसे साबित करना होगा कि उन तथ्यों का अस्तित्व है और जब कोई व्यक्ति किसी तथ्य का अस्तित्व साबित करने के लिए आबद्ध है, तब यह कहा जाता है कि उस व्यकि पर सबूत का भार है ।
दृष्टांत :
(a) क) (ऐ) न्यायालय से चाहता है कि वह (बी) को उस अपराध के लिए दण्डित करने का निर्णय दे जिसके बारे में (ऐ) कहता है कि वह (बी) ने किया है । (ऐ) को यह साबित करना होगा कि (बी) ने वह अपराध किया है ।
(b) ख) (ऐ) न्यायालय से चाहता है कि न्यायालय उन तथ्यों के कारण जिनके सत्य होने को वह प्राख्यान और (बी) प्रत्याख्यान (इन्कार / अस्वीकार) करता है, यह निर्णय दे कि वह (बी) के कब्जे में कि अमुक भूमि का हकदार है । (ऐ) को उन तथ्यों का अस्तित्व साबित करना होगा ।

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