Bsa धारा १४७ : लेखबद्ध विषयों के बारे में साक्ष्य :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १४७ :
लेखबद्ध विषयों के बारे में साक्ष्य :
किसी साक्षी से, जबकि वह परीक्षाधीन है, यह पुछा जा सकेगा कि क्या कोई संविदा, अनुदान या संपत्ति का अन्य व्ययन, जिसके बारे में वह साक्ष्य दे रहा है, किसी दस्तावेज में अन्तर्विष्ट नहीं था, और यदि वह कहता है कि वह था, या यदि वह किसी ऐसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु के बारे में कोई कथन करने ही वाला है, जिसे न्यायालय की राय में, पेश किया जाना चाहिए, तो प्रतिपक्षी आक्षेप कर सकेगा कि ऐसा साक्ष्य तब तक नहीं दिया जाए जब तक ऐसी दस्तावेज पेश नहीं कर दी जाती, या जब तक वे साबित नहीं कर दिए जाते, जो उस पक्षकार को, जिसने साक्षी को बुलाया है, उसका द्वितीयक साक्ष्य देने का हक देते है ।
स्पष्टीकरण :
कोई साक्षी उन कथनों का, जो दस्तावेजों की अन्र्तवस्तु के बारे में अन्य व्यक्तियों द्वारा किए गए थे, मौखिक साक्ष्य से सकेगा, यदि ऐसे कथन स्वयंमेव सुसंगत तथ्य है ।
दृष्टांत :
प्रश्न यह है कि क्या (ऐ) से (बी) पर हमला किया । (सी) अभिसाक्ष्य देता है कि उसने (ऐ) को (डी) से यह कहते सुना है कि (बी) ने मुझे एक पत्र लिखा था, जिसमें मुझ पर चोरी का अभियोग लगाया था और मै उससे बदला लुंगा । यह कथन हमले के लिए (ऐ) का आशय दर्शित करने वाला होने के नाते सुसंगत है और उसका साक्ष्य दिया जा सकेगा, चाहे पत्र के बारे में कोई अन्य साक्ष्य न भी दिया गया हो ।

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