भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ५३१ :
निरसन और व्यावृत्तियाँ :
१) दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) इसके द्वारा निरसित की जाती है ।
२) ऐसे निरसन के होते हुए भी यह है कि–
(a) क) यदि उस तारीख के जिसको यह संहिता प्रवृत्त हो, ठीक पूर्व कोई अपील, आवेदन, विचारण, जाँच या अन्वेषण लंबित हो तो ऐसी अपील, आवेदन, विचारण, जाँच या अन्वेषण को ऐसे प्रारंभ के ठीक पूर्व यथाप्रवृत्त दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २) के (जिसे इसमें इसके पश्चात् पुरानी संहिता कहा गया है) उपबंधो के अनुसार, यथास्थिति, ऐसे निपटाया जाएगा, चालू रखा जाएगा या किया जाएगा मानो यह संहिता प्रवृत्त न हुई हो :
(b) ख) पुरानी संहिता के अधीन प्रकाशित समी अधिसूचनाएँ, जारी की गई सभी उद्घोषणाएँ, प्रदत्त सभी शक्तियाँ, विहित सभी प्ररुप, परिनिश्चित सभी स्थानिय अधिकारिताएँ, दिए गए सभी दण्डादेश, किए गए सभी आदेश, नियम और ऐसी नियुक्तियाँ जो विशेष मजिस्ट्रेटों के रुप में नियुक्तियाँ नहीं है और जो इस संहिता के प्रारंभ के तुरन्त पूर्व प्रवर्तन में है, क्रमश: इस संहिता के तत्स्थानी उपबंधो के अधीन प्रकाशित अधिसूचनाएँ, जारी की गई उद्घोषणाएँ, प्रदत्त शक्तियाँ, विहित प्ररुप, परिनिश्चित स्थानीय अधिकारिताएँ, दिए गए दण्डादेश और किए गए आदेश, नियम और नियुक्तीयाँ समझी जाएँगी;
(c) ग) पुरानी संहिता के अधीन दी गर्स किसी ऐसी मंजूरी या सम्मति के बारे में, जिसके अनुसरण में उस संहिता के अधीन कोई कार्यवाही प्रारंभ न की गई हो, यह समझा जाएगा कि वह इस संहिता के तत्स्थानी उपबंधो के अधीन दी गई है और ऐसी मंजरी या सम्मति के अनुसरण में इस संहिता के अधीन कार्यवाहियाँ कि जा सकेगी;
३) जहाँ पुरानी संहिता के अधीन किसी आवेदन या अन्य कार्यवाही के लिए विनिर्दिष्ट अवधि इस संहिता के प्रारंभ पर या उसके पूर्व समाप्त हो गई हो, वहाँ इस संहिता की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह इस संहिता के अधीन ऐसे आवेदन के किए जाने या कार्यवाही के प्रारंभ किए जाने के लिए केवल इस कारण समर्थ करती है कि उसके लिए इस संहिता द्वारा दीर्घतर अवधि विनिर्दिष्ट की गई है या इस संहिता में समय बढाने के लिए उपंबध किया गया है ।