भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ५१ :
पुलिस अधिकारी की प्रार्थना पर चिकित्सा-व्यवसायी द्वारा अभियुक्त (आरोपी) की परिक्षा :
१) जब कोई व्यक्ति ऐसा अपराध करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है जो ऐसी प्रकृति का है और जिसका ऐसी परिस्थितियों में किया जाना अभिकथित है कि यह विश्वास करने के उचित आधार हैं कि उसकी शारीरिक परीक्षा ऐसा अपराध किए जाने के बारे में साक्ष्य प्रदान करेगी, तो ऐसे किसी पलिस अधिकारी की, प्रार्थना पर कार्य करने में रजिस्ट्रिकृत चिकित्या-व्यवसायी के लिए और सदभावपूर्वक उसकी सहायता करने में उसके निदेशाधीन कार्य करने में किसी व्यक्ति के लिए यह विधिपूर्ण होगा कि वह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की ऐसी परीक्षा करे जो उन तथ्यों को, जो ऐसा साक्ष्य प्रदान कर सकें, अभिनिश्चित करने के लिए उचित रुप से आवश्यक है और उतना बल प्रयोग करे जितना उस प्रयोजन के लिए उचित रुप से आवश्यक है ।
२) जब कभी इस धारा के अधीन किसी स्त्री की शारीरिक परीक्षा की जानी है तो ऐसी परीक्षा केवल किसी महिला द्वारा जो रजिस्ट्रिकृत चिकित्सा-व्यवसायी है या उसके पर्यवेक्षण में की जाएगी ।
३) रजिस्ट्रिकृत चिकित्सा व्यवसायी, बिना विलम्ब के अन्वेषण अधिकारी को परिक्षा रिपोर्ट भेजेगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा में और धारा ५२ और धारा ५३ में –
(a) क) परीक्षा में खून, खून के धब्बों, सीमन (वीर्य), लैंगिक अपराधों की दशा में स्वाब (फाहा / चीविशा), थूक और स्वेद, बाल के नमूनों और उंगली के नाखून की कतरनों की आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीकों के, जिनके अंतर्गत डी.एन.ए. प्रोफाइल करना भी है, प्रयोग द्वारा परिक्षा और ऐसे अन्य परीक्षण, जिन्हें रजिस्ट्रिकृत चिकिस्ता व्यवसायी किसी विशिष्ट मामलें में आवश्यक समझता है, सम्मिलित होंगे;
(b) ख) रजिस्ट्रिकृत चिकित्सा व्यवसायी से वह चिकित्सा व्यवसायी अभिप्रेत है, जिसके पास राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम २०१९ के अधीन मान्यताप्राप्त कोई चिकित्सीय अर्हता है और जिसका नाम राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर या राज्य चिकित्सा रजिस्टर में प्रविष्ट किया गया है ।