भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४७७ :
कुछ मामलों में राज्य सरकार का केन्द्रीय सरकार से परामर्श करने के पश्चात् कार्य करना :
१) किसी दण्डादेश का परिहार करने या उसके लघुकरण के बारे में धारा ४७३ और ४७४ द्वारा राज्य सरकार को प्रदत्त शक्तियों को राज्य सरकार द्वारा प्रयोग उस दशा में केन्द्रीय सरकार से परामर्श किए बिना नहीं किया जाएगा जब दण्डादेश किसी ऐसे अपराध के लिए है –
(a) क) जिसका अन्वेषण इस संहिता से भिन्न किसी केन्द्रीय अधिनियम के अधीन अपराध का अन्वेषण करने के लिए सशक्त किसी अन्य अभिकरण द्वारा किया गया है, अथवा
(b) ख) जिसमें केन्द्रीय सरकार की किसी संपत्ति का दुर्विनियोग या नाश या नुकसान अन्तग्र्रस्त है, अथवा
(c) ग) जो केन्द्रीय सरकार की सेवा में किसी व्यक्ति द्वारा तब किया गया है जब वह अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन, में कार्य कर रहाथा उसका ऐसे कार्य करना तात्पर्यित था ।
२) जिस व्यक्ति को ऐसे अपराधों के लिए दोषसिद्ध किया गया है जिनमें कुछ उन विषयों से संबंधित है, जिन पर संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है और जिसे पृथक्-पृ्थक् अवधि के कारावास का, जो साथ-साथ भोगी जानी है, दण्डादेश दिया गया है, उसके संबंध में दण्डादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण का राज्य सरकार द्वारा पारित कोई आदेश प्रभावी तभी होगा जब ऐसे विषयों के बारे में जिन पर संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, उस व्यक्ति द्वारा किए गए अपराधों के संबंध में ऐसे दण्डादेशों के, यथास्थिति, परिहार, निलंबन या लघुकरण का आदेश केन्द्रीय सरकार द्वारा भी कर दिया गया है ।