भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४५८ :
कारावास के दण्डादेश का निष्पादन :
१) जहाँ उन मामलों से, जिनके लिए धारा ४५३ द्वारा उपबंध किया गया है, भिन्न मामलों में अभियुक्त आजीवन कारावास या किसी अवधि के कारावास के लिए दण्डादिष्ट किया गया है, वहाँ दण्डादेश देने वाला न्यायालय उस जेल या अन्य स्थान को, जिसमे वह परिरुद्ध है या उसे परिरुद्ध किया जाना है तत्काल वारण्ट भेजेगा और यदि अभियुक्त पहले से ही उस जेल या अन्य स्थान में परिरुद्ध नहीं है तो वारण्ट के साथ उसे ऐसी जेल या अन्य स्थान को भिजवाएगा :
परन्तु जहाँ अभियुक्त को न्यायालय के उठने तक के लिए कारावास को दण्डादेश दिया गया है, वहाँ वारण्ट तैयार करना या वारण्ट जेल को भेजना आवश्यक न होगा और अभियुक्त को ऐसे स्थान में, जो न्यायालय निदिष्ट करे, परिरुद्ध किया जा सकता है ।
२) जहाँ अभियुक्त न्यायालय में उस समय उपस्थित नहीं है जब उसे ऐसे कारावास का दण्डादेश दिया गया है जैसा उपधारा (१) में उल्लिखित है, वहाँ न्यायालय उसे जेल या ऐसे अन्य स्थान में, जहाँ उसे परिरुद्ध किया जाना है, भेजने के प्रयोजन से उसकी गिरफ्तारी के लिए वारण्ट जारी करेगा ; और ऐसे मामले में दण्डादेश उसकी गिरफ्तारी की तारीख से प्रारंभ होगा ।