Bnss धारा ४५७ : कारावास का स्थान नियत करने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
(B)ख – कारावास
धारा ४५७ :
कारावास का स्थान नियत करने की शक्ति :
१) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा जैसा उपबंधित है उसके सिवाय राज्य सरकार निदेश दे सकती है कि किसी व्यक्ति को, जिसे इस संहिता के अधीन कारावासित किया जा सकता है या अभिरक्षा के लिए सुपुर्द किया जा सकता है, किसी स्थान में परिरुद्ध किया जाएगा ।
२) यदि कोई व्यक्ति, जिसे इस संहिता के अधीन कारावासित किया जा सकता है या अभिरक्षा के लिए सुपुर्द किया जा सकता है, सिविल जेल में परिरुद्ध है तो कारावास या सुपुर्दगी के लिए आदेश देने वाला न्यायालय या मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति के दांडिक जेल में भेजे जाने का निदेश दे सकता है ।
३) जब उपधारा (२) के अधीन कोई व्यक्ति दांडिक जेल में भेजा जाता है तब वहाँ से छोड दिए जाने पर उसे उस दशा के सिवाय सिविल जेल को लौटाया जाएगा जब या तो –
(a) क) दांडिक जेल में भेजे जाने से तीन वर्ष बीत गए है; जिस दशा में वह, सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ (१९०८ का ५) की धारा ५८ के अधीन सिविल जेल से छोडा गया समझा जाएगा; या
(b) ख) सिविल जेल में उसके कारावास का आदेश देने वाले न्यायालय द्वारा दांडिक जेल के भारसाधक अधिकारी को यह प्रमाणित करके भेज दिया गया है कि वह सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ (१९०८ का ५) की धारा ५८ के अधीन छोडे जाने का हकदार है ।

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