भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४४ :
जिसमें ऐसा व्यक्ति प्रविष्ट (खोजना/चाहा गया) हुआ है जिसकी गिरफ्तारी की जानी है, उस स्थान की तलाशी :
१) यदि गिरफ्तारी के वारण्ट के अधीन कार्य करने वाले किसी व्यक्ति को, या गिरफ्तारी करने के लिए प्राधिकृत किसी पुलिस अधिकारी को, यह विश्वास करने का कारण है कि वह व्यक्ति जिसे गिरफ्तार किया जाना है, किसी स्थान में प्रविष्ट हुआ है, या उसके अन्दर है तो ऐसे स्थान में निवास करने वाला, या उस स्थान का भारसाधक कोई भी व्यक्ति, पूर्वोक्त रुप बें कार्य करने वाले व्यक्ति द्वारा या ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा माँग की जाने पर उसमें उसे अबाध प्रवेश करने देगा और उसके अन्दर तलाशी लेने के लिए सब उचित सुविधाएँ देगा ।
२) यदि ऐसे स्थान में प्रवेश उपधारा (१) के अधीन नहीं हो सकता तो किसी भी मामले में उस व्यक्ति के लिए, जो वारण्ट के अधीन कार्य कर रहा है, और किसी ऐसे मामले में, जिसमें वारण्ट निकाला जा सकता है किन्तु गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को भाग जाने का अवसर दिए बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता,पुलिस अधिकारी के लिए यह विधिपुर्ण होगा कि वह ऐसे स्थान में प्रवेश करे और वहाँ तलाशी ले और ऐसे स्थना में प्रवेश कर पाने के लिए किसी गृह या स्थान के चाहे वह उस व्यक्ती का हो जिसे गिरफ्तार किया जाना है, या किसी अन्य व्यक्ती का हो, किसी बाहरी या भीतरी द्वार या खिडकी को तोडकर खोल दे यदि अपने अधिकार और प्रयोजन की सूचना देने के तथा प्रवेश करने की सम्यक् रुप से माँग करने के पश्चात् वह अन्यता प्रवेश प्राप्त नहीं कर सकता है :
परन्तु यदि ऐसा कोई स्थान ऐसा कमरा है जो (गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति से भिन्न ) ऐसी स्त्री के वास्तविक अधिभोग में है जो रुढि के अनुसार लोगों के सामने नहीं आती है तो ऐसा व्यक्ति या पुलिस अधिकारी उस कमरे में प्रवेश करने के पूर्व उस स्त्री को सूचना देगा कि वह वहाँ से हट जाने के लिए स्वतंत्र है और हट जाने के लिए उसे प्रत्येक उचित सुविधा देगा और तब कमरे को तोडकर खोल सकता है और उसमें प्रवेश कर सकता है ।
३) कोई पुलिस अधिकारी या गिरफ्तार करने के लिए प्राधिकृत अन्य व्यक्ति किसी गृह या स्थान का कोई बाहरी या भीतरी द्वारा या खिडकी अपने को या किसी अन्य व्यक्ति को जो गिरफ्तार करने के प्रयोजन से विधिपूर्वक प्रवेश करने के पश्चात् वहाँ निरुद्ध है, मुक्त करने के लिए तोडकर खोल सकता है ।