Bnss धारा ४२७ : अपील न्यायालय की शक्तियाँ :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४२७ :
अपील न्यायालय की शक्तियाँ :
ऐसे अभिलेख के परिशीलन और यदि अपीलार्थी या उसका प्लीडर हाजिर है तो उसे तथा यदि लोक अभियाजक हाजिर है तो उसे और धारा ४१८ या धारा ४१९ के अधीन अपील की दशा में यदि अभियुक्त हाजिर है तो उसे सुनने के पश्चात् अपील न्यायालय उस दशा में जिसमें उसका यह विचार है कि हस्तक्षेप करने का पर्याप्त आधार नहीं है अपील को खारिज कर सकता है, अथवा –
(a) क) दोषमुक्ति के आदेश से अपील में ऐसे आदेश को उलट सकता है और निदेश दे सकता है कि अतिरिक्त जाँच की जाए अथवा अभियुक्त, यथास्थिति, पुन: विचारित किया जाए या विचारार्थ सुपुर्द किया जाए, अथवा उसे दोषी ठहरा सकता है और उसे विधि के अनुसार दण्डादेश दे सकता है;
(b) ख) दोषसिद्धी से अपील में –
एक) निष्कर्ष और दण्डादेश को उलट सकता है और अभियुक्त को दोषमुक्त या उन्मोचित कर सकता है या ऐसे अपील न्यायालय के अधीनस्थ सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय द्वारा उसके पुन: विचारित किए जाने का या विचारार्थ सुपुर्द किए जाने का आदेश दे सकता है, अथवा
दो) दण्डादेश का कायम रखते हुए निष्कर्ष में परिवर्तन कर सकता है, अथवा
तीन) निष्कर्ष में परिवर्तन करके या किए बिना दण्ड के स्वरुप या परिमाण में अथवा स्वरुप और परिमाण में परिवर्तन कर सकता है, किन्तु इस प्रकार नहीं कि उससे दण्ड में वृद्धि हो जाए;
(c) ग) दण्डादेश की वृद्धि के लिए अपील में –
एक ) निष्कर्ष और दण्डादेश को उलट सकता है और अभियुक्त को दोषमुक्त या उन्मोचित कर सकता है या ऐसे अपराध का विचारण करने के लिए सक्षम न्यायालय द्वारा उसका पुनर्विचारण करने का आदेश दे सकता है, या
दो) दण्डादेश को कायम रखते हुए निष्कर्ष में परिवर्तन कर सकता है, या
तीन) निष्कर्ष में परिवर्तन करके या किए बिना, दण्ड के स्वरुप या परिमाण में अथवा स्वरुप और परिमाण में परिवर्तन कर सकता है जिससे उसमें वृद्धि या कमी हो जाए;
(d) घ) किसी अन्य आदेश से अपील में ऐसे आदेश को परिवर्तित कर सकता है या उलट सकता है;
(e) ङ) कोई संशोधन या कोई पारिणामिक या आनुषंगिक आदेश, जो न्यायसंगत या उचित हो, कर सकता है :
परन्तु दण्ड में तब तक वृद्धि नहीं की जाएगी जब तक अभियुक्त को ऐसी वृद्धि के विरुद्ध कारण दर्शित करने का अवसर न मिल चुका हो :
परन्तु यह और कि अपील न्यायालय उस अपराध के लिए, जिसे उसकी राय में अभियुक्त ने किया है उससे अधिक दण्ड नहीं देगा, जो अपीलाधीन आदेश या दण्डादेश पारित करने वाले न्यायालय द्वारा ऐसे अपराध के लिए दिया जा सकता था ।

Leave a Reply