भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४२५ :
अपील का संक्षेपत: खारिज किया जाना :
१) यदि धारा ४२३ या धारा ४२४ के अधीन प्राप्त अपील की अर्जी और निर्णय की प्रतिलिपि की परीक्षा करने पर अपील न्यायालय का यह विचार है कि हस्तक्षेप करने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है तो वह अपील को संक्षेपत: खारिज कर सकता है :
परन्तु –
(a) क) धारा ४२३ के अधीन उपस्थित की गई कोई अपील तब तक खारिज न की जाएगी जब तक अपीलार्थी या उसके प्लीडर को उसके समर्थन में सुने जाने का उचित अवसर न मिल चुका हो ;
(b) ख) धारा ४२४ के अधीन कोई अपील उसके समर्थन में अपीलार्थी को सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना खारिज नहीं की जाएगी, जब तक अपील न्यायालय का यह विचार न हो कि अपील तुच्छ है या न्यायालय के समक्ष अभियुक्त को अभिरक्षा में पेश करने से मामले की परिस्थीतियों के अनुपात में कहीं अधिक असुविधा होगी;
(c) ग) धारा ४२४ के अधीन उपस्थित की गई कोई अपील तब तक संक्षेपत: खारिज न की जाएगी जब तक ऐसी अपील करने के लिए अनुज्ञात अवधि का अवसान न हा चुका हो ।
२) किसी अपील को इस धारा के अधीन खारिज करने के पूर्व न्यायालय मामले के अभिलेख मंगा सकता है ।
३) जहाँ इस धारा के अधीन अपील खारिज करने वाला अपील न्यायालय, सेशन न्यायालय या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का न्यायालय है वहाँ वह ऐसा करने के अपने कारण अभिलिखित करेगा ।
४) जहाँ धारा ४२४ के अधीन उपस्थित की गई कोई अपील इस धारा के अधीन संक्षेपत: खारिज कर दी जाती है और अपील न्यायालय का यह निष्कर्ष है कि उसी अपीलार्थी की और से धारा ४२३ के अधीन सम्यक् रुप से उपस्थित की गई अपील की अन्य अर्जी पर उसके द्वारा विचार नहीं किया गया है वहाँ, धारा ४३४ में किसी बात के होते हुए भी, यदि उस न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि ऐसा करना न्याय के हित में आवश्यक है तो वह ऐसी अपील विधि के अनुसार सुन सकता है और उसका निपटारा कर सकता है ।