भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४१७ :
छोटे मामलों में अपील न होना :
धारा ४१५ में किसी बात के होते हुए भी, दोषसिद्ध व्यक्ति द्वारा कोई अपील निम्नलिखित में से किसी मामले में न होगी, अर्थात् –
(a) क) जहाँ उच्च न्यायालय केवल तीन मास से अनधिक की अवधि के कारावास का या एक हजार रुपये से अनधिक जुर्माने का अथवा ऐसे कारावास और जुर्माने दोनों का, दण्डादेश पारित करता है ;
(b) ख) जहाँ सेशन न्यायालय केवल तीन मास से अनधिक की अवधि के कारावास का या दो सौ रुपए से अनधिक जुर्माने का अथवा ऐसे कारावास और जुर्माने दोनों का, दण्डादेश पारित करता है;
(c) ग) जहाँ प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट केवल एक सौ रुपए से अनधिक जुर्माने का दण्डादेश पारित करता हैे ; अथवा
(d) घ) जहाँ सक्षेपत: विचारित किसी मामले में, धारा २८३ के अधीन कार्य करने के लिए सशक्त मजिस्ट्रेट केवल दो सौ रुपए से अनधिक जुर्माने का दण्डादेश पारित करता है :
परन्तु यदि ऐसे दण्डादेश के साथ कोई अन्य दण्ड मिला दिया गया है तो किसी दण्डादेश के विरुद्ध अपील की जा सकती है किन्तु वह केवल इस आधार पर अपीलनीय न हो जाएगा कि –
एक) दोषसिद्ध व्यक्ति को परिशांति कायम रखने के लिए प्रतिभूति देने का आदेश दिया गया है; अथवा
दो) जुर्माने देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास के निदेश को दण्डादेश में सम्मिलित किया गया है; अथवा
तीन) उस मामलें में जुर्माने का एक से अधिक दण्डादेश पारित किया गया है, यदि अधिरोपित जुर्माने की कुल रकम उस मामले की बाबत इसमें इसके पूर्व विनिर्दिष्ट रकम से अधिक नहीं है ।
