भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३९३ :
निर्णय की भाषा और अन्तर्वस्तु (विषयवस्तु) :
१) इस संहिता द्वारा अभिव्यक्त रुप से अन्यथा उपबंधित के सिवाय, धारा ३९२ में निर्दिष्ट प्रत्येक निर्णय –
(a) क) न्यायालय की भाषा में लिखा जाएगा;
(b) ख) अवधारण के लिए प्रश्न, उस प्रश्न या उन प्रश्नों पर विनिश्चय और विनिश्चय के कारण अन्तर्विष्ट करेगा ;
(c) ग) वह अपराध (यदि कोई हो) जिसके लिए और भारतीय न्याय संहिता २०२३ या अन्य विधि की वह धारा जिसके अधीन अभियुक्त दोषसिद्ध किया गया है, और वह दण्ड जिसके लिए वह दण्डादिष्ट है, विनिर्दिष्ट करेगा;
(d) घ) यदि निर्णय दोषमुक्ति का है तो, उस अपराध का कथन करेगा जिससे अभियुक्त दोषमुक्त किया गया है और निदेश देगा कि वह स्वतंत्र कर दिया जाए ।
२) जब दोषसिद्धी भारतीय न्याय संहिता २०२३ के अधीन है और यह संदेह है कि अपराध उस संहिता की दो धाराओं में से किसके अधीन या एक ही धारा के दो भागों में से किसके अधीन आता है तो न्यायालय इस बात को स्पष्ट रुप से अभिव्यक्त करेगा और अनुकल्पत: निर्णय देगा ।
३) जब दोषसिद्धी, मृत्यु से अथवा अनुकल्पत: आजीवन कारावास से या कई वर्षों की अवधि के कारावास से दण्डनीय किसी अपराध के लिए है, तब निर्णय में, दिए गए दंडादेश के कारणों का और मृत्यु के दण्डादेश की दशा में ऐसे दण्डादेश के लिए विशेष कारणों का, कथन होगा ।
४) जब दोषसिद्धि एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए है किन्तु न्यायालय तीन मास से कम अवधि के कारावास का दण्ड अधिरोपित करता है तब वह ऐसा दण्ड देने के अपने कारणों को लेखबद्ध करेगा उस दशा के सिवाय जब वह दण्डादेश न्यायालय के उठने तक के लिए कारावास का नहीं है या वह मामला इस संहिता के उपबंधो के अधीन संक्षेपत: विचारीत नहीं किया जाता है ।
५) जब किसी व्यक्ति को मृत्यु का दण्डादेश दिया जाता है तो वह दण्डादेश यह निदेश देगा कि उसे गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक की उसकी मृत्यु न हो जाए ।
६) धारा १३६ के अधीन या धारा १५७ की उपधारा (२) के अधीन प्रत्येक आदेश में और धारा १४४, १६४ या धारा १६६ के अधीन किए गए प्रत्येक अंतिम आदेश में, अवधारण के लिए प्रश्न, उस प्रश्न या उन प्रश्नों पर विनिश्चय और विनिश्चय के कारण अन्तर्विष्ट होंगे ।