भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३७६ :
जहाँ यह रिपोर्ट की जाती है कि विकृत चित्त बंदी अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है वहाँ प्रक्रिया :
यदि कोई व्यक्ती धारा ३६९ की उपधारा (२) के उपबंधों के अधीन निरुद्ध किया जाता है और, जेल में निरुद्ध व्यक्ति की दशा में कारागारों का महानिरीक्षक या लोक मानसिक स्वास्थ्य स्थापन में निरुद्ध व्यक्ति की दशा में, मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम २०१७ (२०१७ का १०) के अधीन गठित मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड, प्रमाणित करें कि उसकी या उनकी राय में वह व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है तो वह, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष उस समय, जिसे वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय नियत करे, लाया जाएगा और वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय उस व्यक्ति के बारे में धारा ३७१ के उपबंधों के अधीन कार्यवाही करेगा, और पूर्वोक्त महानिरिक्षक या परिदर्शकों का प्रमाण-पत्र साक्ष्य के तौर पर ग्रहण किया जा सकेगा ।