भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३५७ :
प्रक्रिया जहाँ अभियुक्त कार्यवाही नहीं समझता है :
यदि अभियुक्त विकृत-चित्त न होने पर भी ऐसा है कि उसे कार्यवाही समझाई नहीं जा सकती तो न्यायालय जाँच या विचारण में अग्रसर हो सकता है और उच्च न्यायालय से भिन्न न्यायालय की दशा में, यदि ऐसी कार्यवाही का परिणाम दोषसिद्धी है, तो कार्यवाही को मामले की परिस्थितियों की रिपोर्ट के साथ उच्च न्यायालय भेज दिया जाएगा और उच्च न्यायालय उस पर ऐसा आदेश देगा जैसा वह ठीक समझे ।