भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३४५ :
क्षमा की शर्तों का पालन न करने वाले व्यक्ति का विचारण :
१) जहाँ ऐसे व्यक्ति के बारे में जिसने धारा ३४३ या धारा ३४४ के अधीन क्षमा-दान स्वीकार कर लिया है, लोक अभियोजक प्रमाणित करता है कि उसकी राय में ऐसे व्यक्ति ने या तो किसी अत्यावश्यक बात को जानबूझकर छिपाकर या मिथ्या साक्ष्य देकर उस शर्त का पालन नहीं किया है जिस पर क्षमा दान किया गया था, वहाँ ऐसे व्यक्ती का विचारण उस अपराध के लिए, जिसके बारे में ऐसे क्षमा-दान किया गया था या किसी अन्य अपराध के लिए, जिसका वह उस विषय के संबंध में दोषी प्रतीत होता है और मिथ्या साक्ष्य देने के अपराध के लिए भी विचारण किया जा सकता है :
परन्तु ऐसे व्यक्ति का विचारण अन्य अभियुक्तों में से किसी के साक्ष संयुक्तत: नहीं किया जाएगा :
परन्तु यह और कि मिथ्या साक्ष्य देने के अपराध के लिए ऐसे व्यक्ति का विचारण उच्च न्यायालय की मंजूरी के बिना नहीं किया जाएगा और धारा २१५ या धारा ३७९ की कोई बात उस अपराध को लागू न होगी ।
२) क्षमा-दान स्वीकार करने वाले ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया और धारा १८३ के अधीन किसी मजिस्ट्रेट द्वारा या धारा ३४३ की उपधारा (४) के अधीन किसी न्यायालय द्वारा अभिलिखित कोई कथन ऐसे विचारण में उसके विरुद्ध साक्ष्य में दिया जा सकता है ।
३) ऐसे विचारण में अभियुक्त यह अभिवचन करने का हकदार होगा कि उसने उन शर्तों का पालन कर दिया है जिन पर उसे क्षमा दान दिया गया था, और तब यह साबित करना अभियोजन का काम होगा कि ऐसी शर्तों का पालन नहीं किया गया है ।
४) ऐसे विचारण के समय न्यायालय –
(a) क) यदि वह सेशन न्यायालय है तो आरोप अभियुक्त को पढकर सुनाए जाने और समझाए जाने के पूर्व;
(b) ख) यदि वह मजिस्ट्रेट का न्यायालय है तो अभियोजन के साक्षियों का साक्ष्य लिए जाने के पूर्व,
अभियुक्त से पूछेगा कि क्या वह यह अभिवचन करता है कि उसने उन शर्तों का पालन किया है जिन पर उसे क्षमा-दान दिया गया था ।
५) यदि अभियुक्त ऐसा अभिवचन करता है तो न्यायालय उस अभिवाक् को अभिलिखित करेगा और विचारण के लिए अग्रसर होगा और वह मामलें में निर्णय देने के पूर्व इस विषय में निष्कर्ष निकालेगा कि अभियुक्त ने क्षमा की शर्तों का पालन किया है या नहीं; और यदि यह निष्कर्ष निकलता है कि उसने ऐसा पालन किया है तो वह इस संहिता में किसी बात के होते हुए भी, दोषमुक्ति का निर्णय देगा ।