भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३४१ :
कुछ मामलों में अभियुक्त को राज्य के व्यय पर विधिक सहायता :
१) जहाँ न्यायालय के समक्ष किसी विचारण या अपील में, अभियुक्त का प्रतिनिधित्व किसी अधिवक्ता द्वारा नहीं किया जाता है, और जहाँ न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि अभियुक्त के पास किसी अधिवक्ता को नियुक्त करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं है, वहाँ न्यायालय उसकी प्रतिरक्षा के लिए राज्य के व्यय पर अधिवक्ता उपलब्ध करेगा ।
२) राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से उच्च न्यायालय –
(a) क) उपधारा (१) के अधीन प्रतिरक्षा के लिए अधिवक्ता के चयन के ढंग का;
(b) ख) ऐसे अधिवक्ताओं को न्यायालयों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का;
(c) ग) ऐसे अधिवक्ताओं को सरकार द्वारा संदेय फीसों का और साधारणत: उपधारा (१) के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए,
उपबंध करने वाले नियक बना सकता है ।
३) राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा यह निदेश दे सकती है कि उस तारीख से, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाए, उपधारा (१) और (२) के उपबंध राज्य के अन्य न्यायालयों के समक्ष किसी वर्ग के विचारणों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे सेशन न्यायालय के समक्ष विचारणों के संबंध में लागू होते है ।