भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३३ :
कुछ अपराधों की इत्तिला का जनता द्वारा किया जाना :
१) प्रत्येक व्यक्ति जो भारतीय न्याय संहिता २०२३ की निम्नलिखित धाराओं के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के किए जाने से या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा करने के आशय से अवगत है, उचित प्रतिहेतु के अभाव में, जिसे साबित करने का भार इस प्रकार अवगत व्यक्ति पर होगा, ऐसे किए जाने या आशय की इत्तला तुरन्त निकटतम मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी को देगा, अर्थात :-
एक) धारा १०३ से धारा १०५ (दोनों सहित);
दो) धारा १११ से धारा ११३ (दोनों सहित);
तीन) धारा १४० से धारा १४४ (दोनों सहित);
चार) धारा १४७ से धारा १५४ (दोनों सहित) और धारा १५८;
पांच) धारा १७८ से धारा १८२ (दोनों सहित);
छह) धारा १८९ और धारा १९१;
सात) धारा २७४ से धारा २८० (दोनों सहित);
आठ) धारा ३०७;
नौ) धारा ३०९ से धारा ३१२ (दोनों सहित);
दस) धारा ३१६ की उपधारा (५);
ग्यारह) धारा ३२६ से धारा ३२८ (दोनों सहित) ; और
बारह) धारा ३३१ और धारा ३३२,
उचित प्रतिहेतु के अभाव में, जिसे साबित करने का भार इस प्रकार अवगत व्यक्ति पर होगा, ऐसे किए जाने या आशय की इत्तिला तुरन्त निकटतम मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी को देगा ।
२) इस धारा के प्रयोजनों के लिए अपराध शब्द के अन्तर्गत भारत के बाहर किसी स्थान में किया गया कोई ऐसा कार्य भी है, जो यदि भारत में किया जाता तो अपराध होता ।