Bnss धारा ३३५ : अभियुक्त की अनुपस्थिति में साक्ष्य का अभिलेख :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३३५ :
अभियुक्त की अनुपस्थिति में साक्ष्य का अभिलेख :
१) यदि यह साबित कर दिया जाता है कि अभियुक्त व्यक्ति फरार हो गया है और उसके तुरन्त गिरफ्तार किए जाने की कोई संभावना नहीं है तो उस अपराध के लिए, जिसका परिवाद किया गया है, उस व्यक्ति का विचारण करने के लिए या विचारण के लिए सुपुर्द करने के लिए सक्षम न्यायालय अभियोजन की और से पेश किए गए साक्षियों की (यदी कोई हों), उसकी अनुपस्थिति में परीक्षा कर सकता है और उनका अभिसाक्ष्य अभिलिखित कर सकता है और ऐसा कोई अभिसाक्ष्य उस व्यक्ति के गिरफ्तार होने पर, उस अपराध की जाँच या विचारण में, जिसका उस पर आरोप है, उसके विरुद्ध साक्ष्य में दिया जा सकता है यदि अभिसाक्षी मर गया है, या साक्ष्य देने के लिए असमर्थ है, या मिल नहीं सकता है या उसकी हाजिरी इतने विलम्ब , व्यय या असुविधा के बिना, जितनी की मामले की परिस्थितियों में अनुचित होगी, नहीं कराई जा सकती है ।
२) यदि यह प्रतीत होता है कि मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय कोई अपराध किसी अज्ञात व्यक्ति या किन्हीं अज्ञात व्यक्तियों द्वारा किया गया है तो उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय निदेश दे सकता है कि कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट जाँच करे और किन्हीं साक्षियों की जो अपराध के बारे में साक्ष्य दे सकते हों, परीक्षा करे और ऐसे लिया गया कोर्ई अभिसाक्ष्य, किसी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध, जिस पर अपराध का तत्पश्चात् अभियोग लगाया जाता है, साक्ष्य में दिया जा सकता है, यदि अभिसाक्षी मर जाता है या साक्ष्य देने के लिए असमर्थ हो जाता है या भारत की सीमाओं से परे है ।

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