Bnss धारा ३३० : कुछ दस्तावेजों का औपचारिक सबूत आवश्यक न होना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३३० :
कुछ दस्तावेजों का औपचारिक सबूत आवश्यक न होना :
१) जहाँ अभियाजन या अभियुक्त द्वारा किसी न्यायालय के समक्ष कोई दस्तावेज फाईल की गई है वहाँ ऐसी प्रत्येक दस्तावेज की विशिष्टियाँ एक सूची में सम्मिलित की जाएगी और अभियोजन या अभियुक्त अथवा अभियोजन या अभियुक्त के प्लीडर (अधिवक्ता) से, यदि कोई हों, ऐसे दस्तावेजों की पूर्ति करने के शीघ्र पश्चात् किसी भी दशा में ऐसी पूर्ति के पश्चात् तीस दिन के पश्चात् नही, ऐसी प्रत्येक दस्तावेज का असली होना स्वीकार या इंकार करने की अपेक्षा की जाएगी :
परंतु न्यायालय अपने विवेक से ऐसे कारणों से अभिलिखित किए जाएं, समय सीमा को शिथिल कर सकेगा :
परंतु यह और कि किसी विशेषज्ञ को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए जब तक नहीं बुलाया जाएगा तब तक ऐसे विशेषज्ञ की रिपोर्ट पर विचारण के किसी पक्षकार द्वारा विवाद नहीं किया जाता है ।
२) दस्तावेजों की सूची ऐसे प्ररुप में होगी जो राज्य सरकार नियमों द्वारा उपबंधित किया जा सके ।
३) जहाँ किसी दस्तावेज का असली होना विवादग्रस्त नहीं है वहाँ ऐसी दस्तावेज उस व्यक्ति के जिसके द्वारा हस्ताक्षरित होना तात्पर्यित है, हस्ताक्षर के सबूत के बिना इस संहिता के अधीन किसी जाँच, विचारण या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य में पढी जा सकेगी :
परन्तु न्यायालय, स्वविवेकानुसार, यह अपेक्षा कर सकता है कि ऐसे हस्ताक्षर साबित किए जाएँ ।

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