Bnss धारा २९१ : पारस्परिक (आपसी) संतोषप्रद निपटारे के लिए मार्गदर्र्शी सिद्धांत :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २९१ :
पारस्परिक (आपसी) संतोषप्रद निपटारे के लिए मार्गदर्र्शी सिद्धांत :
धारा २९० की उपधारा (४) के खंड (a) (क) के अधीन पारस्परिक संतोषप्रद निपटारे के लिए, न्यायालय निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाएगा,अर्थात-
(a) क) पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित किसी मामले में, न्यायालय, लोक अभियोजक, पुलिस अधिकारी, जिसने मामले का अन्वेषण किया है, अभियुक्त और मामले में पीडित व्यक्ति को, उस मामले का संताषप्रद निपटारा करने के लिए बैठक में भाग लेने के लिए सूचना जारी करेगा :
परंतु मामले के संतोषप्रद निपटारे की ऐसी संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान न्यायालय का यह कर्तव्य होगा कि वह सुनिश्चित करे कि सारी प्रक्रिया बैठक में भाग लेने वाले पक्षकारों द्वारा स्वेच्छा से पूर्ण की गई है :
परंतु यह और कि अभियुक्त, यदि ऐसी वांछा (इच्छा) करे, तो वह मामलें में लगाए अपने अभिवक्ता, यदि कोई हो, के साथ इस बैठक में भाग ले सकेगा ।
(b) ख) पुलिस रिपोर्ट से अन्यथा संस्थित मामले में, न्यायालय अभियुक्त और उस मामले में पीडित व्यक्ति को मामले के संतोषप्रद निपटारे के लिए की जाने वाली बैठक में भाग लेने के लिए सूचना जारी करेगा :
परन्तु न्यायालय का यह कर्तव्य होगा कि वह मामले का संतोषप्रद निपटारा करने की संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान यह सुनिश्चित करे की उसे बैठक में भाग लेने वाले पक्षकारों द्वारा स्वेच्छा से पूरा किया गया है :
परन्तु यह और कि यदि, मामलें में, पीडित व्यक्ति या अभियुक्त, यदि ऐसी वांछा (इच्छा) करे, तो वह उस मामले में लगाए गए अपने अभिवक्ता के साथ उस बैठक में भाग ले ।

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