भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २९० :
सौदा अभिवाक् के लिए आवेदन :
१) किसी अपराध का अभियुक्त व्यक्ति, आरोप की विरचना किए जाने की तारीख से तीस दिवस की अवधि के भीतर व्यक्ति, सौदा अभिवाक् के लिए उस न्यायालय में आवेदन फाइल कर सकेगा जिसमें ऐसे अपराध का विचारण लंबित है ।
२) उपधारा (१) के अधीन आवेदन में उस मामलें का संक्षिप्त वर्णन होगा जिसके संबंध में आवेदन फाईल किया गया है, और उसमें उस अपराध का वर्णन भी होगा जिससे वह मामला संबंधित है तथा उसके साथ अभियुक्त का शपथ पत्र होगा जिसमें यह कथित होगा कि उसने विधि के अधीन उस अपराध के लिए उपबंधित दंड की प्रकृति और सीमा को समझने के पश्चात् अपने मामलें में स्वेच्छा से सौदा अभिवाक् दाखिल किया है और यह कि उसे किसी न्यायालय ने इससे पूर्व किसी ऐसे मामलें में, जिसमें उसे उसी अपराध से आरोपित किया गया था, सिद्धदोष नहीं ठहराया गया है ।
३) न्यायालय उपधारा (१) के अधीन आवेदन प्राप्त होने के पश्चात् , लोक अभियोजक या परिवादी को और साथ ही अभियुक्त को मामले में नियत तारीख को हाजिर होने के लिए सूचना जारी करेगा ।
४) जहाँ उपधारा (३) के अधीन नियत तारीख को, लोक अभियोजक या मामले का परिवादी और अभियुक्त हाजिर होते है, वहाँ न्यायालय अपना समाधान करने के लिए कि अभियुक्त ने आवेदन स्वेच्छा से दाखिल किया है, अभियुक्त की बंद कमरे में परिक्षा करेगा जहाँ मामले का दूसरा पक्षकार उपस्थित नहीं होगा और जहाँ –
(a) क) न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि वह आवेदन अभियुक्त द्वारा स्वेच्छा से फाइल किया गया है, वहाँ वह, लोक अभियोजक या परिवादी और अभियुक्त को मामले के पारस्पारिक संतोषप्रद निपटारे के लिए साठ दिवस से अनधिक का समय देगा जिसमें अभियुक्त द्वारा पीडित व्यक्ति को मामले के दौरान प्रतिकर और अन्य खर्च देना सम्मिलित है और तत्पश्चात् मामले की आगे सुनवाई के लिए तारिख नियत करेगा;
(b) ख) न्यायालय को यह पता चलता है कि आवेदन, अभियुक्त द्वारा स्वेच्छा से फाइल नहीं किया गया है या उसे किसी न्यायालय द्वारा किसी मामले में जिसमें उस पर उसी अपराध का आरोप था, सिद्धदोष ठहराया गया है तो वह इस संहिता के उपबंधों के अनुसार, उस प्रक्रम से जहाँ उपधारा (१) के अधीन ऐसा आवेदन फाइल किया गया है, आगे कार्यवाही करेगा ।