भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २८० :
परिवाद को वापस लेना :
यदि परिवादी किसी मामलें में इस अध्याय के अधीन अंतिम आदेश परित किए जाने के पूर्व किसी समय मजिस्ट्रेट का समाधान कर देता है कि अभियुक्त के विरुद्ध, या जहाँ एक से अधिक अभियुक्त है वहाँ उन सब या उनमें से किसी के विरुद्ध उसका परिवाद वापस लेने की उसे अनुज्ञा देने के लिए पर्याप्त आधार है तो मजिस्ट्रेट उसे परिवाद वापस लेने की अनुज्ञा दे सकेगा और तब उस अभियुक्त को, जिसके विरुद्ध परिवाद इस प्रकार वापस लिया जाता है, दोषमुक्त कर देगा ।