भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २७७ :
प्रक्रिया जब दोषसिद्ध न किया जाए :
१) यदि मजिस्ट्रेट अभियुक्त को धारा २७५ या धारा २७६ के अधीन दोषसिद्ध नहीं करता है तो वह अभियाजन को सुनने के लिए और सब ऐसा साक्ष्य, जो अभियोजन के समर्थन में पेश किया जाए, लेने के लिए और अभियुक्त को भी सुनने के लिए और ऐसा सब साक्ष्य, जो वह अपनी प्रतिरक्षा में पेश करे, लेने के लिए अग्रसर होगा ।
२) यदि मजिस्ट्रेट अभियोजन या अभियुक्त के आवेदन पर ठीक समझता है तो वह किसी साक्षी को हाजिर होने या कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने का निदेश देने वाला समन जारी कर सकता है ।
३) मजिस्ट्रेट ऐसे आवेदन पर किसी साक्षी को समन करने के पूर्व यह अपेक्षा कर सकता है कि विचारण के प्रयोजनों के लिए हाचिर होने में किए जाने वाले उसके उचित व्यय न्यायालय में जमा कर दिए जाएँ ।