भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २४२ :
एक ही वर्ष में किए गए एक ही किस्म के अपराधों का आरोप एक साथ लगाया जा सकेगा :
१) जब किसी व्यक्ती पर एक ही किस्म के ऐसे एक से अधिक अपराधों का अभियोग है जो उन अपराधों में से पहले अपराध से लेकर अंतिम अपराध तक बारह मास के अन्दर ही किए गए हैं, चाहे वह एक ही व्यक्ती के बारे में किए गए हो या नहीं, तब उस पर उनमें से पांच से अनधिक कितने ही अपराधों के लिए एक ही विचारण में आरोप लगाया और विचारण किया जा सकता है ।
२) अपराध एक ही किस्म के तब होते है जब वे भारतीय न्याय संहिता २०२३ या किसी विशेष या स्थानीय विधि की एक ही धारा के अधीन दण्ड की समान मात्रा से दण्डनीय होते है :
परन्तु इस धारा के प्रयोजनों के लिये यह समझा जाएगा कि भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ३०३ की उपधारा (२) के अधीन दण्डनीय अपराध उसी किस्म का अपराध है जिस किस्म का उक्त संहिता की धारा ३०५ के अधीन दण्डनीय अपराध है, और भारतीय न्याय संहिता २०२३ या किसी विशेष या स्थानीय विधि की किसी धारा के अधीन दण्डनीय अपराध उसी किस्म का अपाराध है जिस किस्म का ऐसे अपराध करने का प्रयत्न है, जब ऐसा प्रयत्न ही अपराध हो ।