भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २३८ :
गलतियों का प्रभाव :
अपराध के उन विशिष्टियों के, जिनका आरोप में कथन होना अपेक्षित है, कथन करने में किसी गलती को और उस अपराध या उन विशिष्टियों के कथन करेन में किसी लोप को मामले के किसी प्रक्रम में तब ही तात्विक माना जाएगा जब ऐसी गलती या लोप से अभियुक्त वास्तव में भुलावे में पड गया है और उसके कारण न्याय नहीं हो पाया है अन्यथा नही ।
दृष्टांत :
(a) क) (क) पर भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा १८० के अधीन यह आरोप है कि उसने कब्जे में ऐसा कूटकृत सिक्का रखा है जिसे वह उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जानता था कि वह कूटकृत है और आरोप में कपटपूर्वक शब्द छूट गया है । जब तक यह प्रतीत नहीं होता है कि (क) वास्तव में इस लोप से भुलावे में पड गया, इस गलती को तात्तिवक नहीं समझा जाएगा ।
(b) ख) (क) पर (ख) से छल करने का आरोप है और जिस रीति से उसने (ख) के साथ छल किया है वह आरोप में उपववर्णित नहीं है या अशुद्ध रुप में उपवर्णित है । (क) अपनी प्रतिरक्षा करता है, साक्षियों को पेश करता है और संव्यवहार का स्वयं अपना विवरण देता है । न्यायालय इससे अनुमान कर सकता है कि छल करने की रीति के उपवर्णन का लोप तात्विक नहीं है ।
(c) ग) (क) पर (ख) से छल करने का आरोप है और जिस रीति से उसने (ख) से छल किया है वह आरोप में उपवर्णित नहीं है । (क) और (ख) के बीच संव्यवहार हुए है (क) के पास यह जानने का कि आरोप का निर्देश उनमें से किसके प्रति है कोई साधन नहीं था और उसने अपनी कोई प्रतिरक्षा नहीं की । न्यायालय ऐसे तथ्यों से यह अनुमान कर सकता है कि छल करने की रीति के उपवर्णन का लोप उस मामलें में तात्विक गलती थी ।
(d) घ) (क) पर २१ जनवरी २०२३ को खुदाबख्श की हत्या करने का आरोप है । वास्तव में हत्या हुए व्यक्ति का नाम हैदरबख्श था और हत्या की तारीख २० जनवरी २०२३ थी । (क) पर कभी भी एक हत्या के अतिरिक्त दूसरी हत्या का आरोप नहीं लगाया गया और उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष हुई जांच को सुना था जिसमें हैदरबख्श के मामले का ही अन्यन्य रुप से निर्देश किया गया था । न्यायालय इन तथ्यों से यह अनुमान कर सकता है कि (क) उससे भुलावे में नहीं पडा था और आरोप में यह गलती तात्विक नहीं थी ।
(e) ङ)(क) पर २० जनवरी २०२३ को हैदरबख्श की हत्या और २१ जनवरी २०२३ को खुदाबख्श की (जिसने उसे उस हत्या के लिए गिरफ्तार करने का प्रयास किया था) हत्या करने का आरोप है । जब वह हैदरबख्श की हत्या के लिए आरोपित हुआ, तब उसका विचारण खुदाबख्श की हत्या के लिए हुआ । उसकी प्रतिरक्षा में उपस्थित साक्षी हैदरबख्श वाले मामले में साक्षी थे । न्यायालय इससे अनुमान कर सकता है कि (क) भुलावे में पड गया था और यह गलती तात्विक थी ।