भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २३३ :
परिवाद वाले मामलें में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया और उसी अपराध के बारे में पुलिस अन्वेषण :
१) जब पुलिस रिपोर्ट से भिन्न आधार पर संस्थित किसी मामले में (जिसे इसमें इसके पश्चात् परिवाद वाल मामला कहा गया है) मजिस्ट्रेट द्वारा की जाने वाली जाँच या विचारण के दौरान उसके समक्ष यह प्रकट किया जाता है कि उस अपराध के बारे में जो उसके द्वारा की जाने वाली जाँच या विचारण का विषय है पुलिस द्वारा अन्वेषण हो रहा है, तब मजिस्ट्रेट ऐसी जाँच या विचारण की कार्यवाहियों को रोक देगा और अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी से उस मामले की रिपोर्ट मांगेगा ।
२) यदि अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी द्वारा धारा १९३ के अधीन रिपोर्ट की जाती है और ऐसी रिपोर्ट पर मजिस्ट्रेट द्वारा ऐसे व्यक्ती के विरुद्ध किसी अपराध का संज्ञान किया जाता है जो परिवाद वाले मामलें में अभियुक्त है तो, मजिस्ट्रेट परिवाद वाले मामले की और पुलिस रिपोर्ट से पैदा होने वाले मामले की जाँच या विचारण साथ-साथ ऐसे करेगा मानों दोनों मामले पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित किए गए है ।
३) यदि पुलिस रिपोर्ट परिवाद वाले मामले में किसी अभियुक्त से संबंधित नहीं है या यदि मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट पर किसी अपराध का संज्ञान नहीं करता है तो वह उस जाँच या विचारण में जो उसके द्वारा रोक ली गई थी, इस संहिता के उपबंधों के अनुसार कार्यवाही करेगा ।