Bnss धारा २३० : अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट या अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपि देना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २३० :
अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट या अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपि देना :
किसी ऐसे मामले में जहाँ कार्यवाही पुलिस रिपोर्ट के आधार पर संस्थित की गई है, वहां मजिस्ट्रेट बिना किसी देरी के और मामले में अभियुक्त को उपस्थित करने या उसके उपस्थित होनी की तारीख से जो चौदह दिनों की अवधि से अधिक न हो, मजिस्ट्रेट निम्नलिखित में से प्रत्येक की एक प्रतिलिपि अभियुक्त और पीडित को (यदि उसका प्रतिनिधित्व अभिवक्ता द्वारा किया गया हो) अविलम्ब नि:शुल्क देगा :-
एक) पुलिस रिपोर्ट;
दो) धारा १७३ के अधीन लेखबद्ध की गई प्रथम इत्तिला रिपोर्ट;
तीन) धारा १८० की उपधारा (३) के अधीन अभिलिखित उन सभी व्यक्तियों के कथन, जिनकी अपने साक्षियों के रुप में परिक्षा करने का अभियोजन का विचार है, उनमें से किसी ऐसे छोडने के लिए निवेदन धारा १९३ की उपधारा (७) के अधीन पुलिस अधिकारी द्वारा किया गया है;
चार) धारा १८३ के अधीन लेखबद्ध की गई संस्वीकृतियाँ या कथन, यदि कोई हो;
पांच) कोई अन्य दस्तावेज या उसका सुसंगत उद्धरण, जो धारा १९३ की उपधारा (६) के अधीन पुलिस रिपोर्ट के साथ मजिस्ट्रेट को भेजी गई है :
परन्तु मजिस्ट्रेट खण्ड (तीन) में निर्दिष्ट कथन के किसी ऐसे भाग का परिशीलन करने और ऐसे निवेदन के लिए पुलिस अधिकारी द्वारा दिए गए कारणों पर विचार करने के पश्चात् यह निदेश दे सकता है कि कथन के उस भाग की या उसके ऐसे प्रभाग की,जैसा मजिस्ट्रेट ठीक समझे, एक प्रतिलिपि अभियुक्त को दी जाए :
परन्तु यह और कि यदि मजिस्ट्रेट का समाधान हो जाता है कि कोई दस्तावेज विशालकाय है तो वह अभियुक्त और पीडित (यदि उसका प्रतिनिधित्व प्लीडर द्वारा किया गया है) को उसकी प्रतिलिपि देने के बजाय इलैक्ट्रानिक साधन के माध्यम से प्रति को दिया जा सकेगा या यह निदेश देगा कि उसे स्वयं या प्लीडर द्वारा न्यायालय में उसका निरिक्षण ही करने दिया जाएगा :
परन्तु यह भी कि इलैक्ट्रॉनिक प्ररुप में उन दस्तावेजो को प्रदाय करने के लिए विचार किया जाएगा जो सम्यक् रुप से प्रस्तुत किए गए है ।

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