भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २२९ :
छोटे अपराधों के मामले में विशेष समन :
१) यदि किसी छोटे अपराध का संज्ञान करने वाले मजिस्ट्रेट की राय में मामले को धारा २८३ या धारा २८४ के अधीन संक्षेपत: निपटाया जा सकता है तो वह मजिस्ट्रेट उस दशा के सिवाय जहाँ उन कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएंगे उसकी प्रतिकूल राय है, अभियुक्त से यह अपेक्षा करते हुए उसके लिए समन जारी करेगा कि वह विनिर्दिष्ट तारीख को मजिस्ट्रेट के समक्ष या तो स्वयं या वकील द्वारा हाजिर हो या वह मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर हुए बिना आरोप का दोषी होने का अभिवचन करना चाहता है तो लिखित रुप में उस अभिवाक् और समन में विनिर्दिष्ट जुर्माने की रकम डाक या संदेश वाहक द्वारा विनिर्दिष्ट तारीख के पूर्व भेज दे या यदि वह वकील को अपनी और से आरोप के दोषी होने का अभिवचन करने के लिए लिखकर प्राधिकृत करे और ऐसे वकील की मार्फत जुर्माने का संदाय करे :
परन्तु ऐसे समन में विनिर्दिष्ट जुर्माने की रकम पांच हजार रुपए से अधिक न होगी ।
२) इस धारा के प्रयोजनों के लिए छोटे अपराध से कोई ऐसा अपराध अभिप्रेत है जो केवल पांच हजार रुपए से अनधिक जुर्माने से दण्डनीय है किन्तु इसके अन्तर्गत कोई ऐसा अपराध नहीं है जो मोटरयान अधिनियम, १९८८ (१९८८ का ५९) के अधीन या किसी अन्य ऐसी विधि के अधीन, जिसमें दोषी होने के अभिवाक् पर अभियुक्त की अनुपस्थिति में उसको दोषसिद्ध करने के लिए उपबंध है, इस प्रकार दण्डनीय है ।
३) राज्य सरकार, किसी मजिस्ट्रेट को उपधारा (१) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किसी ऐसे अपराध के संबंध में करने के लिए, जो धारा ३५९ के अधीन शमनीय है, या जो कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास से अधिक नहीं है या जुर्माने से या दोनों से दण्डनीय है अधिसूचना द्वारा विशेष रुप से वहाँ सशक्त कर सकती है, जहाँ मामले के तथ्यों और परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए मजिस्ट्रेट की राय है कि केवल जुर्माना अधिरोपित करने से न्याय के उद्देश्य पूरे हो जाएँगे ।