Bnss धारा २२३ : परिवादी की परीक्षा :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
अध्याय १६ :
मजिस्ट्रेटों से परिवाद :
धारा २२३ :
परिवादी की परीक्षा :
१) जब अधिकारिता रखने वाला मजिस्ट्रेट परिवाद पर किसी अपराध का संज्ञान करेगा तब परिवादी की और यदि कोई साक्षी उपस्थित है तो उनकी शपथ पर परीक्षा करेगा और ऐसी परीक्षा का सारांश लेखबद्ध किया जाएगा और परिवादी और साक्षियों द्वारा तथा मजिस्ट्रेट द्वारा भी हस्ताक्षरित किया जाएगा :
परंन्तु किसी अपराध का संज्ञान मजिस्ट्रेट द्वारा अभियुक्त को सुनवाई का अवसर दिए बिना नहीं किया जाएगा :
परन्तु यह और कि जब परिवाद लिख कर किया जाता है तब मजिस्ट्रेट के लिए परिवादी या साक्षियों की परीक्षा करना आवश्यक न होगा –
(a) क) यदि परिवाद अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में कार्य करने वाले या कार्य करने का तात्पर्य रखने वाले लोक-सेवक द्वारा या न्यायालय द्वारा किया गया है; अथवा
(b) ख) यदि मजिस्ट्रेट जाँच या विचारण के लिए मामले को धारा २१२ के अधीन किसी अन्य मजिस्ट्रेट के हवाले कर देता है :
परन्तु यह और कि यदि मजिस्ट्रेट परिवादी या साक्षियों की परीक्षा करने के पश्चात् मामले को धारा २१२ के अधीन किसी अन्य मजिस्ट्रेट के हवाले करता है तो बाद वाले मजिस्ट्रेट के लिए उनकी फिर से परीक्षा करना आवश्यक न होगा.
२) कोई मजिस्ट्रेट किसी लोक सेवक के विरुद्ध उसके शासकीय कृत्यों या कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कारित किया जाना अभिकथित किए गए किसी अपराध के लिए परिवाद पर संज्ञान नहीं लेगा, यदि –
(a) क) ऐसे लोक सेवक को उस परिस्थिति के बारे में प्राख्यान करने का अवसर नहीं दिया जाता है, जिसके कारण अभिकथित घटना घटित हुई ; और
(b) ख) ऐसे लोक सेवक के वरिष्ठ अधिकारी से घटना के तथ्यों और परिस्थितियों के अंतर्विष्ट करने वाली रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती है ।

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