Bnss धारा १८ : लोक अभियोजक (पक्षचालक / सरकारी वकील) :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १८ :
लोक अभियोजक (पक्षचालक / सरकारी वकील) :
१) प्रत्येक उच्च न्यायालय के लिए, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार उस उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात्, यथास्थिति, केन्द्रीय या राज्य सरकार की और से उस उच्च न्यायालय में किसी अभियोजन (कार्यवाई / मुकदमा फौजदारी), अपील या अन्य कार्यवाही के संचालन के लिए एक लोक अभियाजक नियुक्त करेगी और एक या अधिक अपर लोक अभियोजक नियुक्त कर सकती है :
परंतु राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली के संबंध में, केन्द्रीय सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात्, इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए लोक अभियोजकों या अपर लोक अभियोजकों की नियुक्ती करेगी ।
२) केन्द्रीय सरकार किसी जिले या स्थानीय क्षेत्र में किसी मामले के संचालन के प्रयोजनों के लिए एक या अधिक लोक अभियोजक नियुक्त कर सकती है ।
३) राज्य सरकार प्रत्येक जिले के लिए,एक लोक अभियोजक नियुक्त करेगी और जिले के लिए एक या अधिक अपर लोक अभियोजक भी नियुक्त कर सकती है :
परन्तु एक जिले के लिए नियुक्त लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक किसी अन्य जिले के लिए भी, यथास्थिती, लोक अभियोजक, या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किया जा सकता है ।
४) जिला मजिस्ट्रेट, सेशन न्यायाधीश के परामर्श से, ऐसे व्यक्तियों के नामों का एक पैनल तैयार करेगा जो, उसकी राय में, उस जिले के लिए लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किए जाने के योग्य है ।
५) कोई व्यक्ती राज्य सरकार द्वारा उस जिले के लिए लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक की उसका नाम उपधारा (४) के अधीन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा तैयार किए गए नामों के पैनल में न हो ।
६) उपधारा (५) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ किसी राज्य में अभियोजन अधिकारियों का नियमित काडर (संवर्ग /ढांचा) है, वहाँ राज्य सरकार ऐसा काडर, गठित करने वाले व्यक्तीयों में से ही लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त करेगी :
परन्तु जहाँ राज्य सरकार की राय में ऐसे काडर में कोई उपयुक्त नियुक्ती के लिए उपलब्ध नहीं है, वहाँ राज्य सरकार उपधारा (४) के अधीन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा तैयार किए गए नामों के पैनल में से, यथास्थिति, लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक के रुप में किसी व्यक्ती को नियुक्त कर सकती है ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए :
(a) क) अभियोजन अधिकारियों का नियमित काडर (संवर्ग) से अभियोजन अधिकारियों का वह काडर अभिप्रेत है, जिसमें लोक अभियोजक का, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, पद सम्मिलित है और जिसमें उस पद पर सहायक लोक अभियोजक की, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, पदान्नति के लिए उपबंध किया गया है;
(b) ख) अभियोजन अधिकारी से लोक अभियोजक,विशेष लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक के कृत्यों का पालन करने के लिए इस संहिता के अधीन नियुक्त किया गया व्यक्ती अभिप्रेत है, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो।
७) कोई व्यक्ती उपधारा (१), या (२), या (३) या उपधारा (६) के अधीन लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किए जाने का पात्र तभी होगा जब वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता (वकिल) के रुप में विधि व्यवसाय करता रहा हो ।
८) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार किसी मामले या किसी वर्ग मामले के प्रयोजनों के लिए किसी अधिवक्ता (वकिल) को , जो कम से कमल दस वर्ष तक विधि व्यवसाय करता रहा हो, विशेष लोक अभियोजक नियुक्त कर सकती है :
परन्तु यह कि न्यायालय, पीडित को, इस उपधारा के अधीन अभियोजन की सहायता करने के लिए अपनी पसन्द के अधिवक्ता को नियुक्त करने की अनुमति प्रदान कर सकेगा ।
९) उपधारा (७) और (८) के प्रयोजनों के लिए,उस अवधि के बारे में, जिसके दौरान किसी व्यक्ती ने प्लीडर (वकिल) के रुप में विधि व्यवसाय किया है या लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक या अन्य अभियोजन अधिकारी के रुप में, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, सेवाएँ की है (चाहे इस संहिता के प्रारम्भ के पहले की गई हो या पश्चात् ) यह समझा जाएगा की वह ऐसी अवधि है जिसके दौरान ऐसे व्यक्ती ने अधिवक्ता के रुप में विधि व्यवसाय किया है ।

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