Bnss धारा १८६ : पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी कब किसी अन्य अधिकारी से तलाशी वारण्ट जारी करने की अपेक्षा कर सकता है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १८६ :
पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी कब किसी अन्य अधिकारी से तलाशी वारण्ट जारी करने की अपेक्षा कर सकता है :
१) पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी या उपनिरिक्षक से अनिम्न पंक्ति का पुलिस अधिकारी, जो अन्वेषण कर रहा है, किसी दुसरे पुलिसथाने के भारसाधक अधिकारी से, चाहेवह उस जिले में हो या दुसरे जिले में हो, किसी स्थान में ऐसे मामले में तलाशी लिवाने की अपेक्षा कर सकता है जिसमें पूर्वकथित अधिकारी स्वयं अपने थाने की समाओं के अन्दर ऐसी तलाशी लिवा सकता है ।
२) ऐसा अधिकारी ऐसी अपेक्षा किए जाने पर धारा १८५ के उपबंधों के अनुसार कार्यवाही करेगा और यदि कोई चीज मिले तो उसे उस अधिकारी के पास भेजेगा जिसकी अपेक्षा पर तलाशी ली गई है ।
३) जब कभी यह विश्वास करेन का कारण है कि दुसरे पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी से उपधारा (१) के अधीन तलाशी लिवाने की अपेक्षा करने में जो विलम्ब होगा उसका परिणाम यह हो सकता है कि अपराध किए जाने का साक्ष्य छिपा दिया जाए या नष्ट कर दिया जाए, तब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के लिए या उस अधिकारी के लिए जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण कर रहा है, यह विधिपूर्ण होगा कि वह दुसरे पुलिस थाने की स्थानीय सीमाओं के अन्दर किसी स्थान की धारा १८५ के उपबंधो के अनुसार ऐसे तलाशी ले या लिवाए मानो ऐसा स्थान उसके अपने थाने की समाओं के अन्दर हो ।
४) कोई अधिकारी, जो उपधारा (३) के अधीन तलाशी संचालित कर रहा है, पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, जिसकी सीमाओं के अन्दर ऐसा स्थान है, तलाशी की सूचना तत्काल भेजेगा और ऐसी सूचना के साथ धारा १०३ के अधीन तैयार की गई सूची की (यदी कोई हो) प्रतिलिपि भी भेजेगा और उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सशक्त निकटतम मजिस्ट्रेट को धारा १८५ की उपधारा (१) और (३) में निर्दिष्ट अभिलेखों की प्रतिलिपियाँ भी भेजेगा ।
५) जिस स्थान की तलाशी ली गई है, उसके स्वामी या अधिभोगी को, आवेदन करने पर उस अभिलेख की जो मजिस्ट्रेट को उपधारा (४) के अधीन भेजा जाए, प्रतिलिपि नि:शुल्क दी जाएगी ।

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