Bnss धारा १८४ : बलात्संग के पीडित व्यक्ति की चिकित्सीय परिक्षा :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १८४ :
बलात्संग के पीडित व्यक्ति की चिकित्सीय परिक्षा :
१) जहाँ, ऐसे प्रक्रम के दौरान जब बलात्संग या बलात्संग का प्रयत्न करने के अपराध का अन्वेषण किया जा रहा है उस स्त्री के शरीर की, जिसके साथ बलात्संग किया जाना या करने का प्रयत्न करना अभिकथित है, किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से परीक्षा कराना प्रस्थापित है वहाँ ऐसी परिक्षा, सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा चलाए जा रहे किसी अस्पताल में नियोजित रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा, और ऐसे व्यवसायी की अनुपस्थिति में किसी अन्य रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा, ऐसी स्त्री की सहमति से या उसकी ओय से ऐसी सहमति देने के लिए सक्षम व्यक्ति की सहमति से की जाएगी और ऐसी स्त्री को ऐसा अपराध किए जाने से संबंधित इत्तिला प्राप्त होने के समय से चौबीस घंटे के भीतर ऐसे रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसाटी के पास भेजा जाएगा ।
२) वह रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी, जिसके पास ऐसी स्त्री भेजी जाती है, बिना किसी विलंब के, उसके शरीर की परिक्षा करेगा और एक परिक्षा रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें निम्नलिखित ब्यौरे दिए जाएंगे, अर्थात् :-
एक) स्त्री का, और उस व्यक्ति का, जो उसे लाया है, नाम और पता ;
दो) स्त्री की आयु;
तीन) डी.एन.ए प्रोफाइल करने के लिए स्त्री के शरीर से ली गई सामग्री का वर्णन;
चार) स्त्री के शरीर पर क्षति के यदि कोई है, चिन्ह;
पांच)स्त्री की साधारण मानसिक दशा; और
छह) उचित ब्यौरे सहित अन्य तात्विक विशिष्टियाँ ।
३) रिपोर्ट में संक्षेप में वे कारण अभिलिखित किए जाएँगे जिनसे प्रत्येक निष्कर्ष निकाला गया है ।
४) रिपोर्ट में विनिर्दिष्ट रुप से वह अभिलिखित किया जाएगा कि ऐसी परीक्षा के लिए स्त्री की सहमति या उसकी और से ऐसी सहमति देने के लिए सक्षम व्यक्ति की सहमति, अभिप्राप्त कर ली गई है ।
५) रिपोर्ट में परीक्षा प्रारम्भ और समाप्त करने का सही समय भी अंकित किया जाएगा ।
६) रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी, सात दिनों की अवधि के भीतर, रिपोर्ट अन्वेषण अधिकारी को भेजेगा जो उसे धारा १९३ में निर्दिष्ट मजिस्ट्रेट को, उस धारा की उपधारा (६) के खंड (a) (क) में निर्दिष्ट दस्तावेजों के भागरुप में भेजेगा ।
७) इस धारा की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह स्त्री की सहमति के बिना उसकी और से ऐसी सहमति देने के लिए सक्षम किसी व्यक्ति की सहमति के बिना किसी परीक्षा को विधिमान्य बनाती है ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए परीक्षा और रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी के वही अर्थ है जो धारा ५१ में उनके लिए क्रमश: नियत है ।

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