भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १८० :
पुलिस द्वारा साक्षियों की परीक्षा :
१) कोई पुलिस अधिकारी, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण कर रहा है या ऐसे अधिकारी की अपेक्षा पर कार्य करने वाला कोई पुलिस अधिकारी, जो ऐसी पंक्ति से निम्नतर पंक्ति का नहीं है जिसे राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त विहित करे, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से परिचित समझे जाने वाले किसी व्यक्ति की मौखिक परीक्षा कर सकता है ।
२) ऐसा व्यक्ति उन प्रश्नों के सिवाय, जिनके उत्तरों की प्रवृत्ति उसे आपराधिक आरोप या शास्ति या समपहरण की आशंका में डालने की है, ऐसे मामलें से संबंधित उन सब प्रश्नों का सही-सही उत्तर देने के लिए आबद्ध होगा जो ऐसा अधिकारी उससे पुछता है ।
३) पुलिस अधिकारी इस धारा के अधीन परिक्षा के दौरान उसके समक्ष किए गए किसी भी कथन को लेखबद्ध कर सकता है और यदि वह ऐसा करता है, तो वह प्रत्येक ऐसे व्यक्ति के कथन का पृथक् और सही अभिलेख बनाएगा जिसका कथन वह अभिलिखित करता है ।
परन्तु यह कि इस उपधारा के अधीन दिये गए कथन को श्रव्य-दृश्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम द्वारा भी अभिलिखित किया जा सकेगा :
परन्तु यह और कि किसी ऐसी स्त्री का कथन, जिसके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ६४, धारा ६५, धारा ६६, धारा ६७, धारा ६८, धारा ६९, धारा ७०, धारा ७१, धारा ७४, धारा ७५, धारा ७६, धारा ७७, धारा ७८ या धारा १२४ के अधीन किसी अपराध के किए जाने या किए जाने का प्रयत्न किए जाने का अभिकथन किया गया है, किसी महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा अभिलिखित किया जाएगा ।